(ख) दौलत पाय न कीजिए, सपनेहुँ अभिमान।
चंचल जल दिन चारि को, ठाऊँ न रहत निदान।।
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kya karna hai issme he to bataoo
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दौलत पाय न कीजिए, सपनेहुँ अभिमान।
चंचल जल दिन चारि को, ठाऊँ न रहत निदान।।
अर्थ:–
केवल दौलत पाने के लिए ही कार्यं मत करो ना उसका कोई अभिमान करों यह उसी प्रकार हैं जैसे चंचल जल चार दिन के लिए होता हैं यह भी नहीं ठहरता |
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