Hindi, asked by rativashishtha, 8 months ago

खोदा पहाड़ निकली चुहिया पर २५० शब्द की कहानी

Answers

Answered by GurvinderArora
9

Answer:

hope it will help u please mark my answer as brainliest and follow me

Explanation:

खोदा पहाड़ निकली चुहिया (सिन्दूरा)

रामनाथ एक अमीर आदमी था । वह नागपुर में अपनी पत्नी के साथ रहता था । नागपुर में बहुत सारे चोर हैं-यह बात सबको पता है । एक दिन में पाँच-छ: चोरियाँ होती हैं मगर कोई भी आदमी इस बात पर ध्यान नहीं देता । मगर रामनाथ को बहुत परेशानी होती थी इस बात पर । रामनाथ एक अमीर आदमी होने पर भी एक साधारण घर में रहता था । वह अपनी पत्नी का बहुत ख्याल रखते थे और उसकी पत्नी भी रामनाथ की बहुत देखभाल करती थी । उनकी ज़िन्दगी हर सामान्य आदमी की तरह थी । रामनाथ बहुत चतुर था , मगर वह अपनी पत्नी को चतुर नहीं समझता था ।

एक रात रामनाथ बाहर खेतों से घर वापिस आ रहा था तो उसने अपने घर के पेड़ के पीछे दो आदमियों को देखा । वे लोग चोर थे, यह वह समझ गया । रामनाथ ने घर में जाकर जोर-जोर से अपनी पत्नी से कहा ताकि वे चोर भी उसकी बात सुन लें । वह अपनी पत्नी से बोला," अरे लता, सारी कीमती चीज़ों को एक सन्दूक में बन्द कर रख दो । हम इस सन्दूक को अपने खेत में कुएँ में डाल देंगे । आजकल गाँव में बहुत चोरियाँ हो रही हैं ।"

यह बात सुनकर चोर उसके खेत के पास गये और उसका इन्तज़ार करने लगे । रामनाथ और उसकी पत्नी ने अपने खेत में जाकर कुएँ के अन्दर सन्दूक को डाल दिया । वे घर लौट आए । जैसे ही रामनाथ और उसकी पत्नी वहाँ से गए, चोर कुएँ के पास आए और कुएँ का सारा पानी खाली करने लगे । वह कुएँ के पानी में सन्दूक ढूँढ रहे थे । सुबह के सात बज गये और चोरों को पता ही नहीं चला क्योंकि वे तो सन्दूक ढूँढने में ही लगे हुए थे । तभी उन्हें सन्दूक मिला और वे खुश हो गए । उन्होंने जल्दी से सन्दूक में लगा ताला पत्थर मारकर तोड़ा । जैसे ही उन्होंने सन्दूक खोला तो देखा कि उस सन्दूक में पत्थरों के अलावा कुछ नहीं था । इससे पहले कि वे यह बात समझ पाते कि रामनाथ वहाँ आया और उन्हें सब कुछ बताया कि कैसे उसे पता था कि उन्होंने उसकी और उसकी पत्नी की सब बातें सुन ली हैं । पाँच मिनट के अन्दर ही पुलिस भी वहाँ पहुँच गई और उन्हें पकड़कर अपने साथ ले गई । रामनाथ की पत्नी ने कहा कि आप आलसी तो हैं पर चतुर बहुत हैं । आपने तो एक तीर से दो निशाने किए- एक तो कुँए से पानी निकलवाकर पूरे खेत को सींच दिया और दूसरे चोरों को भी पकड़वा दिया । सच है तुमने चोरों को पहाड़ खोदने को कहा पर उन्हें कुछ भी नहीं मिला । यह तो वही बात हुई -खोदा पहाड़ और मिली चुहिया ।

Answered by itzlisa91331
4

Answer:

Explanation:

दादाजी अखबार पढ़ते-पढ़ते बोले-“ये देखो कैसी खबर है! एक सेठ के घर में चोरी हो गई। चोर ने लाखों के जेवर और रुपये-पैसे उड़ा लिए। पुलिस ने कई जगह छापे मारे। आखिरकार सेठ का नौकर ही चोर निकला।

पुलिस ने काफी देर तक उसके घर की तलाशी ली। लेकिन सिर्फ चाँदी के दो-चार गहने ही मिले। यानी खोदा पहाड़, निकली चुहिया।” आजकल समय खराब है। ज्यादा धन-दौलत जाने के लिए आप होती है।” दादीजी बोली।

“लेकिन दादाजी, पुलिस ने न तो कोई पहाड़ खोदा और न ही चुहिया निकली। फिर आपके कहने का मतलब क्या है?” अमर ने पूछा। “बेटा, यह एक कहावत है। जब किसी काम में बहुत ज्यादा मेहनत करने के बाद भी उसका नतीजा पूरा न निकले, तब ऐसा ही कहते हैं। चलो, तुम्हें इसकी कहानी सुनाता हूँ।” दादाजी ने समझाया। | दादाजी ने कहानी शुरू की-“एक जंगल में गुफा के अंदर कुछ चोरों । ने अपना अड्डा बना रखा था। वे चोरी का माल गुफा के अंदर छिपा देते थे। सोने-चाँदी के जेवर, हीरे-जवाहरात, रुपया-पैसा सब कुछ गुफा में रखते जाते थे। एक चोर दिन-रात गुफा पर पहरा देता था। बाकी चोर शहर में चोरी करने चले जाते थे। चोरी करने से पहले वे अपने शिकार के बारे में सब कुछ पता लगा लेते थे। घर में कितने लोग रहते हैं? कौन कब आता-जाता है? फिर मौका मिलते ही वे चोरी करते और भागकर जंगल में चले जाते। चोरी किया हुआ सारा धन गुफा के अंदर छिपा देते।” दादाजी कुछ देर के लिए रुक गए। फिर उन्होंने कहना शुरू किया, एक बार चोर चोरी करने शहर गए हुए थे। उनका एक साथी गुफा पर पहरा दे रहा था। अचानक उसे कहीं से मुँघरुओं की आवाज सुनाई। दी। आवाज सुनकर चोर चौकन्ना हो गया। उसने चारों तरफ देखा। उसे कुछ नजर नहीं आया। फिर वह गुफा के अंदर गया। उसने सोचा, शायद गुफा के अंदर कोई छिपा होगा। लेकिन काफी देर तक ढूँढ़ने के बाद भी उसे वहाँ कोई नहीं मिला। जब उसके साथी वापस आए तो उसने इस । घटना के बारे में उन्हें बताया। उसके साथियों ने उसकी बात को मजाक में उड़ा दिया।

अगले दिन दूसरे चोर को पहरेदारी का काम सौंपा गया। रात के। समय उसे भी एक-दो बार चुंघरुओं की आवाज सुनाई दी। उसने भी गुफा के अंदर-बाहर और आसपास देखा, लेकिन कुछ नजर नहीं आया। जब उसके साथी आए तो उसने वह घटना उन्हें सुनाई। फिर चोरों का सरदार बोला–“हो न हो, पहाड़ के नीचे से ही आवाज आ रही है। लगता है। पहाड़ के नीचे जरूर धन-दौलत दबी हुई है, जो बाहर निकलने के लिए टपटा रही है। साथियो, हमें इस पहाड़ को खोदना चाहिए।’ यह सुनकर शेष चोरों ने अपने सरदार की हाँ में हाँ मिला दी। बस, फिर क्या था, सारे चोर पहाड़ खोदने में लग गए। खोदते-खोदते सारी रात बीत गई। सुबह तक पहाड़ की खुदाई चलती रही। तभी एक चोर को छोटा-सा सुराख दिखाई दिया। वह चिल्ला उठा-‘सरदार, वो देखो!’ जब सरदार ने देखा तो बोला-‘यहाँ खोदो!’ यह सुनकर चोरों ने उधर खुदाई शुरू कर दी। फिर अचानक उस जगह से एक चुहिया निकलकर भागी। उसके पैर में एक मुँघरू अटका हुआ था। यह देखकर चोरों ने अपने माथे पर हाथ मारा और बोले-‘खोदा पहाड़, निकली चुहिया!’ इस तरह उन चोरों की सारी मेहनत बेकार ही गई। ”

दादाजी की कहानी सुनकर अमर बोला-“दादाजी, कभी-कभी हमारे साथ भी ऐसा हो जाता है। हम बहुत मेहनत करके पढ़ाई करते हैं, लेकिन फिर भी परीक्षा में अच्छे अंक नहीं मिलते।”

     or

-काफी समय पहले एक राजा राज्य करता था वह अपने जीवन में काफी खुश था एक दिन राजा के राज्य में मंत्री एक पत्र लेकर आया और राजा से बोला महाराज आप के लिए उसी महारानी का पत्र आया है जो पहले आया था उसने इस बार भी धमकी दी है. राजा के कहने पर मंत्री उस पत्र को सुनाने लगे मंत्री ने राजा को बताया कि इस पत्र में लिखा है कि अगर तुम हमारी सारी बातें मान लो तो तुम्हारे राज्य के लिए ठीक होगा.

अगर तुमने हमारी बात नहीं मानी तो हम हमला कर देंगे.मैंने तुम्हारे सारे सिपाहियों को,जवानों को दुगनी तनखा में खरीद लिया है.पत्र में लिखित बात सुनकर राजा और मंत्री बहुत ही भयभीत हुए राजा निराशा में डूबने लगा.राजा मंत्री से कहने लगा कि अब हम कैसे युद्ध लड़ेंगे? कैसे युद्ध को जीतेंगे? क्योंकि सारे जवान ही उस महारानी ने खरीद लिए हैं इस बात को मंत्री ने कहा महाराज मैंने अपने सेनापति को महारानी के राज को खोजने के लिए भेज दिया है जल्दी ही कुछ पता लगेगा तभी वहां पर सेनापति उपस्थित हुए.

सेनापति ने कहा महाराज मैं महारानी को खोजने गया था मैंने उसे सब जगह देखा लेकिन वह कहीं पर भी नजर नहीं आई तभी मैं एक गुफा मे खोजने गया था वहां पर ना कोई मकान है ना ही कोई किला वहां पर एक पहाड़ था मैंने उस पहाड़ की भी खुदाई करवाई और जब पहाड़ की खुदाई हुई तो मैं तो अचंभित रह गया वहां पर कुछ भी नहीं था वहां पर सिर्फ एक चुहिया का विल था जिस पर एक चिड़िया बैठी हुई थी

महाराज जी यही चिड़िया हमको धमका रही थी यह सुनकर मंत्री,सेनापति और राजा सभी हंसने लगे क्योंकि जिसके बारे में उन्होंने इतना सब कुछ सोचा था वह तो एक छोटी सी चिड़िया निकली. दोस्तों तभी से हम यह कहते हैं कि खोदा पहाड़ निकली चुहिया.हमें कभी भी किसी के बारे में बड़ी-बड़ी बातें सुनकर भयभीत नही होना चाहिए लेकिन वास्तव में वह बात कुछ और ही होती है इसलिए हमें सोच समझकर ही कुछ कदम उठाना चाहिए.

Similar questions