Hindi, asked by barlejaswant, 2 months ago

ख. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Quetions)
1. लेखिका का ऐसा विचार क्यों था कि लखनऊ का युवक डॉ० चन्द्रा के सम्बन्ध में लिखी उनकी पंक्तियों
पढ़े?
2. डॉ० चन्द्रा की कार्यकुशलता को लेखिका ने सुदीर्घ कठिन अभ्यास की यातनाप्रद भूमिका क्यों कहा है ?
3. “वीर जननी पुरस्कार की हकदार वास्तव में डॉ० चन्द्रा की माँ थी।” कथन की पुष्टि कीजिए।
4. आप पाठ के शीर्षक से कहाँ तक सहमत हैं? आपके विचार में इसका उपर्युक्त शीर्षक क्या हो सकता है?
5. आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) उसे वह नतमस्तक आनन्दी मुद्रा में झेल रही है, विधाता को कोसकर नहीं।
(ख) वह बित्ते-भर की लड़की मुझे किसी देवांगना से कम नहीं लगी।
(ग) बुद्धिदीप्त आँखों में अदम्य उत्साह प्रतिपल-प्रतिक्षण भरपूर उत्कट जिजीविषा और फिर कैसी-कै
महत्त्वाकांक्षाएँ।
(घ) ईश्वर सब द्वार एक साथ बन्द नहीं करता। यदि वह एक द्वार बन्द करता भी है, तो दूसरा द्वार खोल भी देता
if you know answer then answer my question​

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Answered by aailyasingh469718
2

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MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 4 अपराजिता

September 27, 2019 by Bhagya

In this article, we will share MP Board Class 8th Hindi Solutions Chapter 4 अपराजिता Pdf, These solutions are solved subject experts from the latest edition books.

MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 4 अपराजिता

MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Chapter 4 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.

निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से खोजकर लिखिए

उत्तर

विलक्षण = अनोखा; अकस्मात् = अचानक; विच्छिन्न = अलग किया हुआ, काटा हुआ; अभिशप्त शापित, शाप लगा हुआ; उत्फुल्ल = प्रसन्न; विषाद = दुःख, उदासी; बुद्धि दीप्ति = मेधावी, तेज बुद्धि वाला; जिजीविषा = जीने की इच्छा; कंठगत = गले में आना; उत्कट = प्रबल, तीव्र नियति = भाग्य; क्षत-विक्षत = घायल; आभामण्डित = तेज से युक्त; पटुता = चतुराई; ख्याति = प्रसिद्धि; आघात = प्रहार, चोट; व्यथा = कष्ट, रोग; नूरमंजिल = लखनऊ में स्थित मानसिक रोगियों का अस्पताल।

प्रश्न 2.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए

(क) अपराजिता संस्मरण की लेखिका कौन हैं?

उत्तर

अपराजिता संस्मरण की लेखिका गौरा पन्त ‘शिवानी’ हैं। वे हिन्दी की लोकप्रिय कथा-लेखिका हैं।

(ख) डॉ. चन्द्रा की माता जी का क्या नाम है ?

उत्तर

डॉ. चन्द्रा की माताजी का नाम श्रीमती टी. सुब्रह्मण्यम है।

(ग) डॉ. चन्द्रा को सामान्य ज्वर के बाद कौन-सी बीमारी हो गई थी?

उत्तर

डॉ. चन्द्रा को सामान्य ज्वर के बाद पक्षाघात की बीमारी हो गई जिससे गरदन के नीचे उनका सांग अचल हो गया।

Explanation:

(घ) ‘वीर जननी’ का पुरस्कार किसे मिला ?

उत्तर

‘वीर जननी’ का पुरस्कार अद्भुत साहसी जननी श्रीमती टी. सुब्रह्मण्यम को मिला। श्रीमती सुब्रह्मण्यम ने लगातार पच्चीस वर्ष तक सहिष्णुता के साथ अपनी पुत्री के साथ-साथ कठिन साधना की।प्रश्न 3.

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए

(क) लेखिका की दृष्टि में डॉ. चन्दा सामान्य जनों से किन बातों में भिन्न थी ?

उत्तर

डॉ. चन्द्रा सामान्य जनों से अनेक बातों में भिन्न थीं। वे असामान्य रूप से शारीरिक अक्षमता व रोग से पीड़ित थीं। उनके शरीर का निचला धड़ निष्प्राण मांस पिण्ड मात्र था फिर भी वे सदा उत्फुल्ल रहती थीं। उनके चेहरे पर विषाद की कोई रेखा भी नहीं दिखती थी। उनमें अदम्य साहस और उत्कट जिजीविषा थी। उनके मुखमण्डल पर बुद्धि की दीप्तता झलकती थी। उनका व्यक्तित्व अनेक महत्त्वाकांक्षाओं से परिपूर्ण था। उन्हें अपने शरीर की अपंगता से बेचैनी नहीं थी।ख) लेखिका ने जब चन्द्रा को कार से उतरते देखा तो वे आश्चर्यचकित क्यों रह गईं ?

उत्तर

लेखिका ने जब चन्द्रा को कार से उतरते देखा तो वे अचम्भित रह गईं। कार का द्वार खुला। एक प्रौढ़ा ने उतरकर पिछली सीट से ह्वील चेयर निकालकर सामने रख दी। कार में से एक युवती ने धीरे-धीरे अपने निर्जीव धड़ को बड़ी सावधानी से नीचे उतारा और बैसाखियों का सहारा लिया और ह्वील चेयर तक पहुँची तथा उसमें बैठ गई। अपनी हील चेयर को बड़ी तटस्थता से चलाती हुई कोठी के अन्दर चली गई। डॉ. चन्द्रा को नित्य नियत समय पर अपने कार्य करते देख चकित होती जब वह मशीन की तरह बटन खटखटाती अपना काम किये चली आती थी। डॉ. चन्द्रा अपनी अपंगता से बिल्कुल भी बेचैन नहीं लगती थीं। उनकी आँखों में अदम्य उत्साह और उत्कट जिजीविषा थी। उनमें महत्त्वाकांक्षाएँ भरपूर थीं। अत: उन्हें देखकर लेखिका अचम्भित रह गईप्रश्न 4.

निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

(क) बित्ते भर की लड़की मुझे किसी देवांगना से कम नहीं लगी।

आशय-लेखिका को अपंगता से ग्रसित लड़की देवांगना से कम नहीं लग रही थी। उसके चेहरे पर अद्भुत कान्ति थी। उसमें बुद्धिबल और आत्मनिर्भरता थी, यद्यपि वह शरीर से बहुत छोटी थी।

(ख) मैडम, मैं चाहती हूँ कि कोई मुझे सामान्य-सा भी सहारा न दे।

आशय-उस छोटे से आकार की अपंगता से ग्रस्त बालिका ने लेखिका से कहा कि वह नहीं चाहती है कि कोई भी व्यक्ति उसको थोड़ा भी सहारा दे। वह स्वावलम्बी बनकर रहना चाहती

(ग) चिकित्सा ने जो खोया, वह विज्ञान ने पाया।

आशय-लेखिका का कथन सही है क्योंकि चिकित्सा ने डॉ. चन्द्रा की अपंगता को ठीक नहीं किया जबकि विज्ञान के क्षेत्र में डॉ. चन्द्रा ने अनेक सफलताएँ प्राप्त की। डॉ. चन्द्रा ने बी.एस-सी. और एम. एस-सी. प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण और डॉ. सेठना के निर्देशन में पाँच वर्ष कार्य करते हुए पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त करके, विज्ञान के क्षेत्र में अपना अमूल्य योगदान दिया।

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