Hindi, asked by sahoohimanshu943, 7 months ago

(ख) द्रोपदी की लाज कैसे बची?​

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Answered by jethwanianju47
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Here's your answer

महाभारत की कहानी में बहुत सी ऐसी घटनाओं का ज़िक्र मिलता है जो हमारी कल्पना से परे है.

एक ओर जहां महाभारत हमें कौरवों और पांडवों के बीच हुए घमासान युद्ध की याद दिलाता है, तो वहीं पांचाली यानि पांच पतियों वाली द्रौपदी का चीरहरण एक हैरान कर देने वाली दास्तान है.

महाभारत की एक घटना के मुताबिक पांचों पांडव अपनी पत्नी द्रौपदी को जुए में हार गए थे. जिसके बाद भरी सभा में दुःशासन ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए द्रौपदी का चीरहरण करवाया था.

चीरहरण के वक्त द्रौपदी ने श्रीकृष्ण से अपनी लाज बचाने के लिए गुहार लगाई. द्रौपदी की पुकार सुनकर  श्रीकृष्ण ने स्वयं प्रकट होकर द्रौपदी के सम्मान की रक्षा की.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि असल में श्रीकृष्ण की वजह से नहीं, बल्कि किसी और के वरदान से भरी सभा में द्रौपदी की लाज बची थी.

तो आइए हम आपको बताते हैं कि किसके वरदान से द्रौपदी का चीरहरण होने से बचा था.

दुर्वासा ऋषि ने दिया था वरदान

पौराणिक कथाओं के अनुसार दुर्वासा ऋषि के वरदान की वजह से ही द्रौपदी का चीरहरण होने से बचा था.

मान्यता है कि एक बार ऋषि दुर्वासा नदी में स्नान कर रहे थे,  तभी नदी में आए तेज बहाव और अनियंत्रित लहरों की वजह से दुर्वासा के कपड़े बह गए.

कपड़ों के बह जाने से ऋषि दुर्वासा काफी परेशान हो गए, तब उसी नदी के तट पर बैठी द्रौपदी ने अपने वस्त्र को फाड़कर उसका कुछ टुकड़ा दुर्वासा ऋषि को दे दिया.

द्रौपदी के इस व्यवहार से दुर्वासा ऋषि बेहद खुश हुए और उन्हें यह वरदान दिया कि जब भी संकट के समय उन्हें वस्त्रों की आवश्यकता होगी तब उनके वस्त्र अनंत हो जाएंगे यानि जिसका कोई अंत नहीं होगा.

वरदान ने की सम्मान की रक्षा

दुर्वासा ऋषि के इसी वरदान का चमत्कार भरी सभा में देखने को मिला, जब दु:शासन ने द्रौपदी का चीरहरण करने की कोशिश की, तब द्रौपदी की साड़ी अनंत हो गई जिसका कोई अंत ही नहीं था. और द्रौपदी के सम्मान की रक्षा इसी वरदान के चलते हुई थी.

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Answered by anushkaagrawal2411
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Answer:

चीरहरण के वक्त द्रौपदी ने श्रीकृष्ण से अपनी लाज बचाने के लिए गुहार लगाई. द्रौपदी की पुकार सुनकर श्रीकृष्ण ने स्वयं प्रकट होकर द्रौपदी के सम्मान की रक्षा की

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