CBSE BOARD XII, asked by princekrpy, 5 months ago

खाद्य पदार्थ को किस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है​

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Answered by BRAINLYking024
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Answer:

मेंढक उभयचर वर्ग का जंतु है जो पानी तथा जमीन पर दोनों जगह रह सकता है। यह एक शीतरक्ती प्राणी है अर्थात् इसके शरीर का तापमान वातावरण के ताप के अनुसार घटता या बढ़ता रहता है।

Answered by gowthamkommalapati
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Answer:

Explanation:

स्वस्थ और सक्रिय जीवन के लिए मनुष्य को उचित एवं पर्याप्त पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। शरीर की आहार संबंधी आवश्यकताओं के तहत पोषक तत्वों की प्राप्ति के लिए अच्छा पोषण या उचित आहार सेवन महत्वपूर्ण है। नियमित शारीरिक गतिविधियों के साथ पर्याप्त, उचित एवं संतुलित आहार अच्छे स्वास्थ्य का आधार है। ख़राब पोषण से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और रोग के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है तथा शारीरिक एवं मानसिक विकास बाधित होता है तथा उत्पादकता कम हो जाती है।

संपूर्ण जीवन में स्वस्थ आहार उपभोग अपने सभी रूपों में कुपोषण रोकने के साथ-साथ गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) तथा अन्य स्थितियां रोकने में भी मदद करता है, लेकिन तेजी से बढ़ते शहरीकरण/वैश्वीकरण, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के उपभोग और बदलती जीवनशैली के कारण आहार संहिता में महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है।

लोग अधिक ऊर्जा, वसा, शर्करा या नमक/सोडियम से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे हैं तथा पर्याप्त फल एवं सब्जी तथा रेशा युक्त आहार जैसे कि साबुत अनाज का सेवन नहीं करते हैं। इसलिए, ये सभी कारक असंतुलित आहार में योगदान करते हैं। संतुलित और स्वस्थ आहार विभिन्न ज़रूरतों (जैसे कि उम्र, लिंग, जीवन शैली और शारीरिक गतिविधियों), सांस्कृतिक, स्थानीय उपलब्ध खाद्य पदार्थों और आहारीय रीति-रिवाजों (खानपान के संस्कार) के आधार पर अलग होता है, लेकिन स्वस्थ आहार का गठन करने वाले मूल सिद्धांत समान रहते हैं।

संतुलित आहार वह होता है, जिसमें प्रचुर और उचित मात्रा में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ शामिल होते है, जिससे संपूर्ण स्वास्थ्य, जीवन शक्ति और तंदुरूस्ती/आरोग्यता बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व पर्याप्त रूप से मिलते हैं तथा संपूरक पोषक तत्व कम अवधि की कमजोरी दूर करने की एक न्यून व्यवस्था है।

आहार संबंधी मुख्य समस्या अपर्याप्त/असंतुलित आहार का सेवन है। भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य महत्व की सबसे सामान्य पोषण संबंधी समस्याओं में से एक जन्म के समय कम वज़न, बच्चों में प्रोटीन-कैलोरी (ऊर्जा) कुपोषण, वयस्कों में चिरकालिक ऊर्जा की कमी, सूक्ष्म पोषक कुपोषण और आहार संबंधी गैर-संचारी रोग हैं। देश में मानव संसाधनों के विकास के लिए स्वास्थ्य और पोषण सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी कारक हैं।

स्वस्थ आहार पद्धति जीवन में जल्दी शुरू होती है। हालिया प्रमाण दर्शाते है, कि गर्भाशय में पोषण की कमी, बाद के जीवन में आहार संबंधी चिरकालिक रोगों के लिए भावभूमि निर्मित करती है। स्तनपान स्वस्थ विकास में वृद्धि करता है और संज्ञानात्मक विकास में सुधार करता है तथा उससे लंबे समय तक का स्वास्थ्य लाभ होता है। यह अधिक वज़न या मोटापा और बाद के जीवन में एनसीडी होने का ज़ोखिम कम करता है।

यद्यपि स्वस्थ आहार में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं, इसलिए ‘प्रमुखता’ खाद्य आधारित दृष्टिकोण से पोषक नवाचार पर स्थानांतरित हो गयी है।  

 

खाद्य पदार्थों को निम्नलिखित के अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता है-

 

  ऊर्जा से भरपूर खाद्य पदार्थ (कार्बोहाइड्रेट और वसा)- साबुत अनाज, बाजरा, वनस्पति तेल, घी, मेवा, तिलहन और शर्करा।

 

 

  हड्डियां मज़बूत करने वाला आहार (बॉडी बिल्‍डिंग फ़ूड)- दलहन, मेवा, तिलहन, दुग्ध और दुग्ध उत्पाद, मांस, मछली और मुर्गी (पोल्ट्री)।

 

 

  सुरक्षात्मक खाद्य पदार्थ (विटामिन और खनिज)- इसमें हरी पत्तेदार सब्जियां, अन्य सब्जियां, फल, अंडा, दुग्ध और दुग्ध उत्पाद और मांसाहारी खाद्य पदार्थ शामिल है।

 

जीवन के विभिन्न चरणों में आहार योजना

पोषण सब के लिए आवश्यक है। हालांकि, हर व्यक्ति के लिए आवश्यकता अलग-अलग होती है, जिसमें एक शिशु, बढ़ता हुआ बच्चा, गर्भवती/धात्री/स्तनपान कराने वाली महिलाएं और बुजुर्ग लोग शामिल हो सकते हैं। आहार विभिन्न कारकों जैसे कि उम्र, लिंग, शारीरिक गतिविधि और विभिन्न शारीरिक चरणों में पोषण की आवश्यकता तथा अन्य कई कारकों पर निर्भर करता है। बच्चों की शारीरिक लंबाई और वज़न उनकी शारीरिक वृद्धि और विकास दर्शाता हैं, जबकि वयस्कों की लंबाई और वज़न अच्छे स्वास्थ्य की दिशा के उठाए गए चरण दर्शाता हैं।

शिशु के लिए आहार:

यदि आपके पास कोई शिशु या बच्चा है, तो सुनिश्चित करें, कि उसे उसकी बढ़ती उम्र के अनुसार पर्याप्त पोषण मिलता है। शिशु को जीवन के पहले छह महीनों तक केवल स्तनपान कराया जाना चाहिए। प्रसव के बाद, एक घंटे के भीतर स्तनपान कराना शुरू किया जाना चाहिए तथा पहले दूध (कोलोस्ट्रम) को त्यागना नहीं चाहिए, क्योंकि यह शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है तथा उसे कई संक्रमणों से भी बचाता है। स्तनपान, शिशु के लिए सुरक्षित पोषण सुनिश्चित करता है, जिससे संक्रमण का ख़तरा कम होता है तथा यह उसके संपूर्ण विकास में भी मदद करता है। शिशुओं की वृद्धि और स्वस्थ विकास के लिए स्तनपान सबसे अच्छा प्राकृतिक और पौष्टिक आहार है। स्तनपान करने वाले शिशुओं को अतिरिक्त पानी की आवश्यकता नहीं होती है। छह महीने के बाद आप स्तनपान कराने के साथ-साथ अपने बच्चे को अनुपूरक आहार खिला सकते हैं। अनुपूरक आहार पोषक तत्वों से भरपूर होना चाहिए। ये अनुपूरक आहार सामान्यत: घर पर उपयोग किए जाने वाले खाद्य पदार्थों जैसे कि अनाज (गेहूं, चावल, ज्वार, बाजरा आदि) दाल (चना/दाल), मेवा तथा तिलहन (मूंगफली, तिल आदि), तेल (मूंगफली का तेल, तिल का तेल आदि), चीनी और गुड़ से तैयार किए जा सकते हैं। आप अपने बच्चे को विभिन्न प्रकार के नरम/अर्ध ठोस खाद्य पदार्थ जैसे कि आलू, दलिया, अनाज या अंडे भी खिला सकते हैं।

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