खाद्य पदार्थ में मिलावट के कारण होने वाले बिमारियों को लेकर दो औरतों के बिच संवाद
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अमरोहा । वैसे सभ्य समाज के लिए खाद्य पदार्थों में मिलावट बेहद शर्म की बात होती है लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि हमारे देश में यह खेल खूब फलफूल रहा है। जबकि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम-2006 में सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान है। वहीं आईपीसी की धारा 272 एवं 273 के अंतर्गत पुलिस प्रशासन को भी सीधे कार्रवाई की छूट है। इसके वावजूद मिलावट का धंधा खूब फलफूल रहा है।
बेशक विज्ञान ने कितनी भी उन्नति कर ली हो लेकिन अब तक ऐसे किसी दुधारू पशु की खोज नहीं हुई है जो त्योहारों के सीजन में सामान्य से कई गुना अधिक दूध देता हो। स्पष्ट है कि दाल में बहुत कुछ काला है। होली से पहले ही हसनपुर क्षेत्र में नकली मावा बनाने का भंडाफोड़ हो चुका है। दूध समाज के हर वर्ग की आवश्यकता है। दूध को हम चाय, कॉफी व पेय के रूप में प्रयोग करते हैं किन्तु मिलावटखोर कृत्रिम दूध बनाकर हमें विभिन्न बीमारियों के घेरे में ला देते हैं। यूरिया, डिटरजेंट, शैम्पू, चीनी व सोडियम वाई कार्बाेनेट के प्रयोग से तैयार दूध जहरीला है तो डेयरी मालिकों द्वारा पशुओं को प्रतिबंधित ऑक्सीटोक्सिन का इंजेक्शन लगाकर दूध की आखिरी बूंद भी निचोड़ लेना चाहते है। ऐसा दूध अनेक प्रकार के गंभीर रोगों का कारण बनता है। दूध के बाद अब दैनिक उपयोग की सब्जियों में खतरनाक ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाकर उसका आकार बढ़ाया जा रहा है। दालें, अनाज, दूध, घी से लेकर सब्जी और फल तक कोई भी चीज मिलावट से अछूती नहीं है। ये मिलावट इतनी चतुराई से की जाती है कि मूल खाद्य पदार्थ तथा मिलावट वाले खाद्य पदार्थ में भेद करना काफी मुश्किल हो जाता है। यहां तक कि देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर बोतल बंद पानी भी नकली और मिलावटी बिक रहे है। कई ऐसी खाद्य सामग्री है जिसे बनाते समय कपड़ा धोने वाले सोडे का प्रयोग किया जाता है जोकि पाचन तंत्र और रक्तचाप के लिए नुकसानप्रद है। इसी प्रकार फलों को जल्दी पकाने के लिए पेस्टी साइड्स का इस्तेमाल, सब्जियों को जल्दी उगाने और बढ़ाने के लिए रसायनों का प्रयोग हमारी आंखों के सामने जारी है।सरकारें भी ²ढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने को सजग नहीं हैं। सरकार यदि वास्तव में मिलावट को रोकने के लिए ²ढ़ संकल्प हो जाए तो इसमें कोई दो राय नहीं कि इस पर रोक न लग सके। आवश्यकता बस एक ठोस नीति और उसके उचित क्रियान्वयन की है। अब होली का त्योहार आ रहा है, ऐसे में मिलावटी मिठाइयों के साथ ही अन्य खाद्य पदार्थ धड़ल्ले से बाजार में बिकते हैं। विभागीय अधिकारी भी सिर्फ खानापूरी करते ही नजर आते हैं। हालांकि अपर जिलाधिकारी एमए अंसारी ने खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम मिलावटी खाद्य पदार्थों की रोकथाम को ठोस कदम उठाये जाने के निर्देश दिये हैं।
जुर्माने से लेकर सजा का है प्रावधान
सहायक आयुक्त खाद्य संजय पाण्डे कहते है कि 'खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006' में मिलावट करने वालों के खिलाफ सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान किया गया है। इस कानून में दूषित एवं मिलावटी भोजन के उत्पादकों, वितरकों, विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं के लिए सख्त सजा (कम से कम 10 लाख रुपये का जुर्माना और 6 महीने से लेकर उम्रकैद तक) का प्रावधान किया गया है। श्री पाण्डे कहते हैं कि मुकद्दमों के शीघ्र निपटारे के लिए सभी जिलों में विशेष न्यायालयों का भी गठन किया जा चुका है। वहीं आईपीसी की धारा 272 व 273 के अंतर्गत पुलिस मिलावटखोरों के खिलाफ सीधे कार्रवाई कर सकती है।