Sociology, asked by aasa2377, 1 year ago

खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण दें।

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Answered by nikitasingh79
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उत्तर :  

खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण निम्न प्रकार से है :  

(क) मांस का निर्यात :  

खाद्य उपलब्धता पर तकनीक  के प्रभाव को देखने के लिए मांस व्यापार सबसे अच्छा उदाहरण है । तकनीक के अभाव में जीवित जानवरों का निर्यात किया जाता था। यह एक जटिल प्रक्रिया थी तथा इसमें अनेक समस्याएं थी । जैसे जानवरों का वजन कम हो जाना, मार्ग में उनका बीमार पड़ जाना अथवा मर जाना इत्यादि । परंतु तकनीक के विकास ने जहाजों को ठंडा रखना आसान बना दिया । फल स्वरुप जानवरों के स्थान पर अब उनका खाने योग्य मांस ही यूरोप में भेजा जाने लगा । इससे परिवहन खर्च में कमी आ गई और विदेशों में मांस सस्ता मिलने लगा।  

(ख) विभिन्न खाद्य पदार्थों का आदान प्रदान :  

तकनीकी विकास से पूर्व विश्व के लगभग सभी राष्ट्र आत्मनिर्भर थे।  परंतु तकनीकी विकास से परिवहन के संसाधनों का तेज़ी से विकास हुआ। इसके कारण लोग विभिन्न देशों में आने जाने लगे। वे अपने साथ विभिन्न प्रकार की फसलें ले जाते थे। उदाहरण के लिए आलू ,सोया ,मूंगफली ,मक्का, टमाटर आदि यूरोप और एशिया में अमेरिका महाद्वीप से आए।

आशा है कि है उत्तर आपकी मदद करेगा।

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Answered by Anonymous
6

Explanation:

अति प्राचीन काल से समाज शब्द का प्रयोग मनुष्य के समूह विशेष के लिए होता आ रहा है। जैसे भारतीय समाज , ब्राह्मण समाज , वैश्य समाज , जैन समाज , शिक्षित समाज , धनी समाज , आदि। समाज के इस व्यवहारिक पक्ष का अध्यन सभ्यता के लिए विकास के साथ-साथ प्रारंभ हो गया था। हमारे यहां के आदि ग्रंथ वेदों में मनुष्य के सामाजिक जीवन पर पर्याप्त प्रकाश डाला गया है।

इनमें पति के पत्नी के प्रति पत्नी के पति के प्रति , माता – पिता के पुत्र के प्रति , पुत्र के माता – पिता के प्रति , गुरु के शिष्य के प्रति , शिष्य के गुरु के प्रति , समाज में एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति के प्रति , राजा का प्रजा के प्रति और प्रजा का राजा के प्रति कर्तव्यों की व्याख्या की गई है।

मनु द्वारा विरचित मनूस्मृति में कर्म आधारित वर्ण व्यवस्था और उसके महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है और व्यक्ति तथा व्यक्ति , व्यक्ति तथा समाज और व्यक्ति तथा राज्य सभी के एक दूसरे के प्रति कर्तव्यों को निश्चित किया गया है। भारतीय समाज को व्यवस्थित करने में इसका बड़ा योगदान रहा है इसे भारतीय समाजशास्त्र का आदि ग्रंथ माना जा सकता है।

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