खुधाबू रचते है हाथ
कविता का मूल भाव बताइए?
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इस पाठ की दूसरी कविता 'खुशबू रचते हैं हाथ' में कवि ने सामाजिक विषमताओं को बेनकाब किया है। ... कवि कहता है कि दूसरों के लिए खुशबू बनाने वाले खुद न जाने कितनी और कैसी तकलीफों का सामना करते हैं। कवि कहता है कि यह एक विडंबना ही है कि दुनिया की सारी खुशबू उन गलियों में बनती है जहाँ दुनिया भर की गंदगी समाई होती है।
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Right answer I loved it❤❤
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