ख. विलियम को भेलपूरी बनाने की विधि का पता क्यों नहीं चला?
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विलियम ब्लेक (28 नवम्बर 1757 – 12 अगस्त 1827) एक अंग्रेज कवि, चित्रकार तथा प्रिंट रचयिता थे। अपने जीवनकाल में उन्हें ख्याति नहीं मिली, किंतु अब उन्हें रोमैंटिक युग की कविता और चाक्षुष कलाओं के क्षेत्र की एक महान आरंभिक हस्ती के रूप में माना जाता है। उनके भविष्यदर्शी काव्य के बारे में कहा गया है कि वह “अंग्रेजी भाषा का ऐसा काव्य है जिसे उसकी खूबियों के अनुपात से कम पढ़ा गया”.[1] उनकी चाक्षुष कलात्मकता को लेकर एक समकालीन कला समीक्षक को यह घोषित करना पड़ा कि “दूर-दूर तक ब्रिटेन ने ऐसा महानतम कलाकार कभी उत्पन्न नहीं किया”.[2] हालांकि वे लंदन में रहते थे, तीन वर्ष की अवधि को छोड़कर उनका सारा जीवन फेलफैम में बीता[3] उन्होंने एक विविधतापूर्ण और प्रतीकात्मक रूप से समृद्ध साहित्य की रचना की जिसने “ईश्वर की काया”,[4] अथवा “स्वयं मानवीय अस्तित्व” की कल्पना को अंगीकार किया।[5]
अपने समकालीनों द्वारा, स्वभावगत विचित्रताओं के कारण सनकी के रूप में माने जाने वाले ब्लेक को बाद के समीक्षकों ने उनकी अभिव्यंजकता तथा रचनाधर्मिता के कारण और उनकी रचनाओं की दार्शनिक तथा रहस्यवादी अंतर्धारा के कारण उच्च सम्मान दिया. 18वीं शताब्दी में व्यापक उपस्थिति के कारण उनके चित्र और काव्य को रोमैंटिक आन्दोलन तथा “पूर्व-रोमैंटिकवाद”[6] का हिस्सा माना गया। बाइबल के प्रशंसक लेकिन इंग्लैंड के चर्च के विरोधी, ब्लेक फ्रेंच और अमेरिकन आदर्शों और क्रांतियों द्वारा प्रभावित थे[7] साथ ही उनपर जैकब बॉम (Jakob Böhme) इमैनुएल स्विडेनबर्ग (Emanuel Swedenborg) जैसे विचारकों का भी प्रभाव पड़ा.[8]
इन ज्ञात प्रभावों के बावजूद ब्लेक के कृतित्व की एकलता के कारण उन्हें किसी वर्ग में रखना कठिन हो जाता है। 19वीं शताब्दी के विद्वान विलियम रोज़ेट्टी (William Rossetti) ने ब्लेक को “ग्लोरियस ल्युमिनरी अर्थात तेजस्वी प्रकाशपुंज”[9] तथा “एक ऐसा व्यक्ति जो न अपने पूर्ववर्तियों द्वारा निवारित किया गया, न ही अपने समकालीनों के साथ वर्गीकृत किया गया और न ही जिसका अपने बाद के ज्ञात अथवा सहज ही अनुमेय रचनाकारों द्वारा स्थान लिया गया” के रूप में चित्रित किया।[10]
इतिहासकार पीटर मार्शल ने ब्लेक को उनके समकालीन विलियम गॉडविन के साथ आधुनिक अराजकतावाद के अग्रदूतों में से एक कहा.[11]
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