(ख) 'वर्षा-धुले आकाश से' का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
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कवि कहते हैं कि यह वा वर्षा से धुले हुए आकाश से या चंद्रमा के पास से या यह हवा बादलों की साँस ही है। यह बरसाती हवा मधुरता लिए मस्त होकर बहने वाली हवा है। ... व्याख्या/भावार्थ—इन पंक्तियों में कवि कहता है कि बरसात की हवा ऊँचे-ऊँचे पर्वतों के ढलान से और उनके मस्तक रूपी शिखरों से खेलती है।
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