ख) यह एक नैतिक और आध्यात्मिक स्रोत है, जो अनन्तकाल सेप्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सम्पूर्ण देश में बहता रहा है औरकभी-कभी मूर्त रूप होकर हमारे सामने आता रहा है। यह हमारासौभाग्य रहा है कि हमने ऐसे ही मूर्त रूप को अपने बीचचलते-फिरते, हँसते-रोते भी देखा है और जिसने अमरत्व की याददिलाकर हमारी सूखी हड्डियों में नई मज्जा डाल हमारे मृतप्रायशरीर में नए प्राण फूंके और मुरझाए ह
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मूर्ति रुप में भी हमने चलते देखा है या बात या कथन या तत्व बिल्कुल सत्य है जीवन की परितोष या चुनाव में यह जानना मुश्किल ही नहीं है हर चीज में एक जीवाश्म होता है
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