Khadi boli ka Pratham mahakavya kaun sa hai
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अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' (जन्म- 15 अप्रैल, 1865, मृत्यु- 16 मार्च, 1947) का नाम खड़ी बोली को काव्य भाषा के पद पर प्रतिष्ठित करने वाले कवियों में बहुत आदर से लिया जाता है।
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@bipasha
अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' (जन्म- 15 अप्रैल, 1865, मृत्यु- 16 मार्च, 1947) का नाम खड़ी बोली को काव्य भाषा के पद पर प्रतिष्ठित करने वाले कवियों में बहुत आदर से लिया जाता है।
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खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य :- " प्रियप्रवास "है
यह महाकाव्य , कवि सम्राट पंडित अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' दावरा किखा गया है |
हरिऔध जी ने अपनी कविताओं से मानवीय करुणा, मानवीय गरिमा, मानवीय स्वतंत्रता की आकांक्षा, मान्यताओं एवं दृष्टिकोण की नई व्याख्या प्रस्तुत की। हरिऔध जी की कविताएं समाज को नई दिशा देने के साथ समाज का मार्ग प्रशस्त करती हैं। समाज को जीवटता एवं बुद्धिमत्ता का पाठ पढ़ाती हैं। उन्होंने कहा कि पूरे देश में निजामाबाद कस्बा का नाम हरिऔध जी के नाम के कारण जाना जाता है।
जिस खड़ी बोली को आज राष्ट्रभाषा बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है उसके विकास में हरिऔध जी का विशेष योगदान रहा।
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