Physics, asked by amazingsciencestudy, 6 hours ago

खगोलीय घटना: नासा के फर्मी स्पेस टेलीस्कोप से हुई सुपरनोवा फिजल्ड गामा-रे विस्फोट! कीUpdated Tue, 27 Jul 2021 06:15 AM IST
सार
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. शशि भूषण पांडेय ने बताया कि इस घटना ने गामा किरण विस्फोट के क्षेत्र में वैज्ञानिकों को पहले से कहीं अधिक कुछ सीखने और समझने का मौका दिया।
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खगोल वैज्ञानिकों की टीम ने अंतरिक्ष में स्थित नासा के फर्मी गामा-रे स्पेस टेलीस्कोप से एक ऐसे विस्फोट की खोज की है, जो अब तक का सबसे छोटा गामा रे विस्फोट (जीआरबी) होगा। यह विस्फोट किसी विशाल तारे की मौत के बाद हुआ। इसे सुपरनोवा फिजल्ड गामा रे विस्फोट नाम दिया गया। इसे खोजने वाले खगोल वैज्ञानिकों की टीम में एरीज के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडेय भी बतौर सदस्य शामिल रहे।
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आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. शशि भूषण पांडेय ने बताया कि इस घटना ने गामा किरण विस्फोट के क्षेत्र में वैज्ञानिकों को पहले से कहीं अधिक कुछ सीखने और समझने का मौका दिया। कहा कि इससे गामा किरण को और अधिक गहराई से समझने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि खोज दल में शामिल गोडार्ड के खगोलशास्त्री और अहुमादा के शोध सलाहकार लियो सिंगर का कहना था कि अगर यह विस्फोट एक संकुचित होते तारे के कारण हुआ था, तो इसकी उत्तरदीप्ति के लुप्त होने के बाद अंतर्निहित सुपरनोवा विस्फोट के कारण इसे फिर से चमकना चाहिए। ऐसी दूरियों पर सुपरनोवा के प्रकाश को उसकी गैलेक्सी की चमक में से पहचानने के लिए एक बहुत बड़ी और बहुत संवेदनशील दूरबीन की जरूरत होती है।



डॉ. पांडेय ने बताया कि इस खोज के लिए सिंगर को हवाई में स्थित 8.1 मीटर जेमिनी नॉर्थ टेलीस्कोप और जेमिनी मल्टी ऑब्जेक्ट स्पेक्ट्रोग्राफ नामक एक संवेदनशील उपकरण के उपयोग के लिए समय आवंटित किया गया था। खगोलविदों ने विस्फोट के 28 दिनों के बाद संबंधित आकाशगंगा का लाल और अवरक्त प्रकाश में प्रेक्षण किया। 45 और 80 दिनों के बाद इसे दोहराया। उन्होंने पहले प्रेक्षण संग्रह में एक निकट-अवरक्त स्रोत उस सुपरनोवा का पता लगाया जो बाद के प्रेक्षणों में नहीं देखा जा सका।

डॉ. पांडेय का कहना है कि यह विस्फोट ऐसे जेटों के कारण हुआ होगा जो तारे से बमुश्किल बाहर निकलकर बंद हो गए। यदि ब्लैक होल से कमजोर जेट उत्सर्जित हुए होते या तारा अपने पतन के समय बहुत विशाल होता तो जीआरबी बिल्कुल न होने की संभावना होती। कहा कि यह खोज लंबे समय से असुलझी पहेली को सुलझाने में मदद करेगा। उन्होंने बताया कि फर्मी गामा रे टेलीस्कोप, खगोल भौतिकी एवं कण भौतिकी की साझेदारी हैं। इसका प्रबंधन नासा की ग्रीनबेल्ट, मेरीलैंड स्थित गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर की ओर से किया जाता है। फर्मी दूरबीन का विकास अमेरिका के परमाणु उर्जा विभाग के सहयोग से किया गया है। इसमें फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, स्वीडन एवं अमेरिका के शैक्षिक संस्थानों और अन्य सहभागियों का महत्वपूर्ण योगदान है।

नेचर एस्ट्रोनॉमी नामक पत्रिका में किया है विस्फोट का उल्लेख
खगोल वैज्ञानिकों के मुताबिक 0.65 सेकेंड तक चली जीआरबी (गामा रे बर्स्ट) 200826 ए उच्च उर्जा विकिरण का एक तेज विस्फोट था। विस्तारशील ब्रह्मांड में युगों तक यात्रा करने के बाद फर्सी गामा रे बर्स्ट मॉनीटर ने इसका पता लगाया था। यह घटना नासा के विंड मिशन के उपकरणों में भी दिखाई दी। एरीज के खगोलविद् डॉ. शशि भूषण पांडेय ने बताया कि यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) के इंटीग्रल उपग्रह द्वारा भी इस विस्फोट को देखा गया। इसी साल 26 जुलाई को नेचर एस्ट्रोनॉमी नामक पत्रिका में गामा-रे डेटा की पड़ताल और सुपरनोवा विस्फोट की उभरती रोशनी का वर्णन किया गया है।
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Answers

Answered by munibaabdullah10
2

Answer:

I know both of the languages but you r improving my knowledge and language too , thank u keep upload this makes my day .

Answered by shaheenarshi427
1

Answer:

खगोल वैज्ञानिकों की टीम ने अंतरिक्ष में स्थित नासा के फर्मी गामा-रे स्पेस टेलीस्कोप से एक ऐसे विस्फोट की खोज की है, जो अब तक का सबसे छोटा गामा रे विस्फोट (जीआरबी) होगा। यह विस्फोट किसी विशाल तारे की मौत के बाद हुआ। इसे सुपरनोवा फिजल्ड गामा रे विस्फोट नाम दिया गया।

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