ेखक के मन में हिस्सेदार सािब के ललए श्रद्िा क्यों जिी।
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लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए अपार श्रद्धा जग गई इसका यही कारण था कि बस के टायरों की हालत का पूरी तरह से ज्ञान होने पर भी हिस्सेदार साहब अपनी जान हथेली पर रखकर उस बस में सफर कर रहे थे। बलिदान और त्याग की ऐसी भावना का कहीं और मिल पाना बहुत मुश्किल था।
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