Hindi, asked by tanwaniarti4gmailcom, 6 months ago

(खण्ड-बा
1-संकेतों के आधार पर अनुच्छेद 'त्योहारों का महत्व लिखें।
(मनाने का कारण, कैसे मनाते हैं, त्योहार से मिलने वाली शिक्षा, एकता का प्रतीक)​

Answers

Answered by pariverma39
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Explanation:

भारतीय अपने त्योहारों को विशेष महत्व देते हैं। प्रत्येक वर्ष विभिन्न त्योहारों के उत्सव के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है। गांव हों या बड़े शहर हों चारों तरफ खुशी है। त्यौहारों के मौसम के दौरान सभी स्थानों को अलंकृत किया जाता है। कुछ मुख्य भारतीय त्योहारों में दिवाली, होली, रक्षा बंधन, गणेश चतुर्थी, दुर्गा पूजा, दशहरा, पोंगल और भाई दूज शामिल हैं।

हमारे देश में लोग त्योहारों को अपने नजदीकियों के साथ मनाना पसंद करते हैं। प्रत्येक भारतीय त्योहार का उत्सव मनाने का अपना अनूठा तरीका है और लोग उसी उत्सव को मनाते हुए परंपरा का पालन करते हैं। हालांकि, कुछ चीजें आम हैं, उदाहरण के लिए लोग त्योहारों के दौरान अपने घरों को फूलों और रोशनी से सजाते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। वे एक दूसरे से मिलने जाते हैं और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। मेहमानों के इलाज के लिए घर पर विशेष मिठाइयाँ तैयार की जाती हैं।

भारत के लोग भी देश के राष्ट्रीय त्योहारों के लिए बहुत सम्मान रखते हैं। गांधी जयंती, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस हमारे देश के तीन राष्ट्रीय त्योहार हैं। ये त्यौहार एकता और प्रगति का प्रतीक हैं। वे हमें हमारे देशभक्त नेताओं की याद दिलाते हैं जिन्होंने निस्वार्थ भाव से देश की सेवा की। राष्ट्रीय त्योहार समान उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। इन त्योहारों के दौरान देशभक्ति की भावना से पूरा वातावरण भर जाता है।

सभी सभी, भारतीय धार्मिक और राष्ट्रीय त्योहारों को बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं। बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी त्योहारों का इंतजार रहता है।

Answered by ritikasingh9940
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Answer:

होली का पर्व हिन्दुओं के द्वारा मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। होली पूरे भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाने वाला त्योहार है। हर भारतवासी होली का पर्व हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं। सभी लोग इस दिन अपने सारे गिले, शिकवे भुला कर एक दुसरे को गले लगाते हैं। होली के रंग हम सभी को आपस में जोड़ता है और रिश्तों में प्रेम और अपनत्व के रंग भरता है। हमारी भारतीय संस्कृति का सबसे ख़ूबसूरत रंग होली के त्योहार को माना जाता है। सभी त्योहारों की तरह होली के त्योहार के पीछे भी कई मान्यताएं प्रचलित है। होली कैसे मनाते है, होली का महत्व क्या है, होलिका कौन थी इन सभी की जानकारी हम आपको अपने इस पोस्ट के जरिये देंगे। इसके साथ स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों से होली पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है। हमारे इस पोस्ट से छात्र होली के बारे में अधिक जानकारी हासिल कर सकते हैं जिससे वे स्कूल या कॉलेज में अच्छे से निबंध प्रतियोगिता में भाग ले सकें।होली हर साल फाल्गुन (मार्च) के महीने में महीने में विभिन्न प्रकार के रगों के साथ मनाई जाती है। सभी घरों में तरह तरह के पकवान बनाये जाते हैं। होली हिंदुओं के एक प्रमुख त्योहार के रूम में जाना जाता है। होली सिर्फ हिन्दुओं ही नहीं बल्कि सभी समुदाय के लोगों द्वारा उल्लास के साथ मनाया जाता है। होली का त्योहार लोग आपस में मिलकर, गले लगकर और एक दूसरे को रंग लगाकर मनाते हैं। इस दौरान धार्मिक और फागुन गीत भी गाये जाते हैं। इस दिन पर हम लोग खासतौर से बने गुजिया, पापड़, हलवा, आदि खाते हैं। रंग की होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है।     होली का त्यौहार मनाने के पीछे एक प्राचीन इतिहास है। प्राचीन समय में हिरण्यकश्यप नाम के एक असुर हुआ करता था। उसकी एक दुष्ट बहन थी जिसका नाम होलिका था। हिरण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानता था। हिरण्यकश्यप के एक पुत्र थे जिसका नाम प्रह्लाद था। वे भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे। हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु के विरोधी था। उन्होंने प्रह्लाद को विष्णु की भक्ति करने से बहुत रोका। लेकिन प्रह्लाद ने उनकी एक भी बात नहीं सुनी। इससे नाराज़ होकर हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को जान से मारने का प्रयास किया। इसके लिए हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। क्योंकि होलिका को आग में न जलने का वरदान मिला हुआ था। उसके बाद होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता में बैठ गई लेकिन जिस पर विष्णु की कृपा हो उसे क्या हो सकता है और प्रह्लाद आग में सुरक्षित बचे रहे जबकि होलिका उस आग में जल कर भस्म हो गई। यह कहानी ये बताती है कि बुराई पर अच्छाई की जीत अवश्य होती है। आज भी सभी लोग लकड़ी, घास और गोबर के ढ़ेर को रात में जलाकर होलिका दहन करते हैं और उसके अगले दिन सब लोग एक दूसरे को गुलाल, अबीर और तरह-तरह के रंग डालकर होली खेलते हैं। होली हर साल फाल्गुन महीने में मनाई जाती है। जैसे जैसे होली का त्योहार पास आता है हमारा उत्साह भी बढ़ता जाता है। होली सच्चे अर्थों में भारतीय संस्कृति का प्रतीक है, जिसके रंग अनेकता में एकता को दर्शाते हैं। लोग एक दूसरे को प्रेम-स्नेह की गुलाल लगाते हैं , सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, लोकगीत गाये जाते हैं और एक दूसरे का मुँह मीठा करवाते हैं।

भारत में होली का उत्सव अलग-अलग प्रदेशों में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। आज भी ब्रज की होली सारे देश के आकर्षण का बिंदु होती है। लठमार होली जो कि  बरसाने की है वो भी काफ़ी प्रसिद्ध है। इसमें पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएँ पुरुषों को लाठियों तथा कपड़े के बनाए गए कोड़ों से मारती हैं। इसी तरह मथुरा और वृंदावन में भी १५ दिनों तक होली का पर्व मनाते हैं। कुमाऊँ की गीत बैठकी होती है जिसमें शास्त्रीय संगीत की गोष्ठियाँ होती हैं। होली के कई दिनों पहले यह सब शुरू हो जाता है। हरियाणा की धुलंडी में भाभी द्वारा देवर को सताए जाने की प्रथा प्रचलित है। विभिन्न देशों में बसे हुए प्रवासियों तथा धार्मिक संस्थाओं जैसे इस्कॉन या वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में अलग अलग तरीके से होली के शृंगार व उत्सव मनाया जाता है। जिसमें अनेक समानताएँ भी और अनेक भिन्नताएँ हैं।

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