(खण्ड-ब)
स्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा में अंतर स्पष्ट कीजिए
हिन्दी एंकाकी की परिभाषा देते हुए उसके प्रमुख
जनसंचार का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके प्रकार
नाखून क्यों बढ़ते हैं? निबंध का क्या उद्देश्य है?
प्रारूपण का सामान्य अर्थ क्या है? समझाइए।
धाय माँ का चरित्र-चित्रण लिखिए।
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संकेत भाषा (या सांकेतिक भाषा) एक ऐसी भाषा है, जो अर्थ सूचित करने के लिए श्रवणीय ध्वनि पैटर्न में संप्रेषित करने के बजाय, दृश्य रूप में सांकेतिक पैटर्न (हस्तचालित संप्रेषण, अंग-संकेत) संचारित करती है-जिसमें वक्ता के विचारों को धाराप्रवाह रूप से व्यक्त करने के लिए, हाथ के आकार, विन्यास और संचालन, बांहों या शरीर तथा चेहरे के हाव-भावों का एक साथ उपयोग किया जाता है।
जहां भी बधिर लोगों का समुदाय मौजूद हो, वहां संकेत भाषा का विकास होता है। उनके पेचीदा स्थानिक व्याकरण, उच्चरित भाषाओं के व्याकरण से स्पष्ट रूप से अलग है।[1][2] दुनिया भर में सैकड़ों संकेत भाषाएं प्रचलन में हैं और स्थानीय बधिर समूहों द्वारा इनका उपयोग किया जा रहा है। कुछ संकेत भाषाओं ने एक प्रकार की क़ानूनी मान्यता हासिल की है, जबकि अन्य का कोई महत्व नहीं है।
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