खण्ड -(ग)
प्रश्न 18. काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए (4)
कै वह टूटी-सी छानी हती, कहँ कंचन के अब धाम सुहावत।
के पग में पनही न हती, कहें लै गजराजहु ठादे महावत ।।
भूमि कठोर पै रात कटै, कहँ कोमल सेज पै नींद न आवत।
के जुरतो नहिं कोदो सवाँ, प्रभु के परताप ते दाख न भावत।
1.कवि तथा कविता का नाम क्या है ?
2. सुदामा कौन थे?
3. सुदामा के पास पहले रहने के लिए एक टूटा-सा छप्पर था, अब उसके स्थान पर क्या है
4. सुदामा के पास पहले पाँत में पहनने के लिए जूता तक नहीं होता था, अब क्या स्थिति है ?
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खण्ड -(ग)
प्रश्न 18. काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए (4)
कै वह टूटी-सी छानी हती, कहँ कंचन के अब धाम सुहावत।
के पग में पनही न हती, कहें लै गजराजहु ठादे महावत ।।
भूमि कठोर पै रात कटै, कहँ कोमल सेज पै नींद न आवत।
के जुरतो नहिं कोदो सवाँ, प्रभु के परताप ते दाख न भावत।
1.कवि तथा कविता का नाम क्या है ?
2. सुदामा कौन थे?
3. सुदामा के पास पहले रहने के लिए एक टूटा-सा छप्पर था, अब उसके स्थान पर क्या है
4. सुदामा के पास पहले पाँत में पहनने के लिए जूता तक नहीं होता था, अब क्या स्थिति है ?
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