खण्ड क
निम्नलिखित अपठित गदयांश को ध्यानपूर्वक पढिए और प्रश्न का उतर दीजिए :-
नैतिक शिक्षा के दो पहलू है - सकरात्मक एवं नकारात्मक । पहले पक्ष के अर्न्तगत आते है -सत्य ,
अंहिसा , परोपकार और करुणा । ये गुण परहित के कारण है और परहित को गोस्वामी तुलसीदास ने
परम धर्म कहा है । इसके विपरीत नकारात्मक पहलू के अन्तर्गत आते है, काम , कोध , मोह , लोभ
दुर्वचन आदि । इन्ही अवगुणों से दूसरो को पीङा पहुँचती है और पीडा को तुलसीदास ने अधर्म या पाप
कहा है । यादि छात्रों को नैतिक शिक्षा दी जाएगी तो वे सन्मार्ग पर चलेगे, अपनी आत्मा को शुद्ध
बनाकर अपना और देश दोनों का हित करेगें। इसके विपरित आचरण करने पर छल - कपट कर
अनुशासन भंग कर स्वयं अपना जीवन भी नष्ट करेगें और सामज में अराजकता फैलाकर देश को दुर्बल
बनायेगें । यदि विदयार्थी जीवन से ही छात्रों को सही मार्गदर्शन मिले तो निश्चित रूप से सभ्यता और
संस्कृति का बीजरोपण हो जाता है । यह वही अवस्था है जिससें अच्छे नागरिकों का निर्माण होता है
| इसलिए नैतिकता की शिक्षा हम शिक्षण संस्थाओं में पाठयक्रम का अंग बनाकर दे सकते है ।
प्रश्न
क. सकारात्मक के विभिन्न पहलू क्या -क्या है?
ख. तुलसीदास जी ने अधर्म किसे माना है?
ग. छात्रों को कैसी शिक्षा दी जानी चाहिए और क्यों?
घ. देश की दुर्बलता हक क्या कारण होते है ?
ड. गदयांश में से दो प्रत्यय निर्मित षब्द छाँटकर मुल षब्द और प्रत्यय अलग करके लिखें ।1
नैतिक जीवन के लिए कौन सा जीवन श्रेष्ठ
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Answer:
- क) सत्य, अहिंसा, परोपकार और करुणा ।
- ख) पीड़ा को तुलसी दास ने अधर्म माना है ।
- ग) छात्रो को नैतिक शिक्षा देनी चाहिए ।
- घ) यदि छात्र अनुशासन भंग करेंगे तो समाज मे अराजकता फैसला कर देश को दुर्बल बनाएंगे ।
- ङ) विद्यार्थी जीवन ।
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