खरीदने का भाववाचक संज्ञा क्या है
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Concept:
जो शब्द किसी पदार्थ की अवस्था या चीज़, दशा या भाव का बोध कराते हों, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहा जाता हैं. अर्थात जिन शब्दों से भावना का बोध होता हो, उन शब्दों को भाव वाचक संज्ञा कहा जाता है|
Explanation:
खरीदने का भाववाचक संज्ञा खरीद है|
जो शब्द किसी पदार्थ की अवस्था या चीज़, दशा या भाव का बोध कराते हों, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहा जाता हैं. अर्थात जिन शब्दों से भावना का बोध होता हो, उन शब्दों को भाव वाचक संज्ञा कहा जाता है| या - जिस संज्ञा शब्द से पदार्थों की अवस्था, गुण-दोष, धर्म आदि का बोध हो उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं| जैसे- मिठास, खटास, धर्म, थकावट, जवानी, मोटापा, मित्रता, - सुन्दरता, बचपन, परायापन, अपनापन, बुढ़ापा, प्यास|
भाववाचक संज्ञा के उदाहरण
1. ईमानदारी से बड़ा कोई धर्म नहीं|
यहां पर ईमानदारी शब्द एक भावना प्रकट कर रहा है, इसलिए यहां पर ईमानदारी भाववाचक का उदाहरण है|
2. मैं तुम्हे बहुत प्रेम से रखूँगा|
यहां पर प्रेम शब्द हमारे भाव का बोध करा रहा है, इसलिए यहां पर प्रेम में भाववाचक है|
3. मैं बहुत गुस्सा हूँ|
यहां पर मेरे रे गुस्सा होने का बोध हो रहा है, अतः यहां पर गुस्सा भाववाचक का उदाहरण है|
भाववाचक संज्ञा के दो भेद हैं
• समुदायवाचक संज्ञा- वह शब्द जिनसे किसी वस्तु या व्यक्ति के समूह होने का बोध होता हो, उन्हें समूहवाचक संज्ञा कहा जाता है जैसे- झुंड, मेला, परिवार, दल, सेना, कक्षा, मेला, भीड़, टुकड़ी, पुस्तकालय आदि शब्दों में समूह होने का बोध होता है|
• द्रव्यवाचक संज्ञा- जो शब्द किसी तरल, ठोस, अधातु, धातु, पदार्थ, द्रव्य आदि का बोध कराते हैं, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहा जाता है पानी, घी, तेल, कोयला, चाँदी, सोना, फल, सब्जी, हिरा, लोहा, चीनी, आदि द्रव्य द्रव्यवाचक संज्ञा में आते है क्योंकि इन्हें गिना नहीं बल्कि मापा या फिर तोला जाता है|
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