खड़ी बोली गद्य की प्रथम रचना कौन सी है इसके लेखक कौन है ?
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Answer:
खड़ी बोली गद्य की प्रथम रचना चंद छंद बरनन की महिमा है |
इसके लेखक गंग कवि है |
गंग कवि अकबर के दरबार के हिंदी कवि थे। इनका जन्म और निधन-तिथि तथा जन्मस्थान विवादास्पद है। गंग अकबर के दरबारी कवि थे और रहीम खानखाना इन्हें बहुत मानते थे।
चंद छंद बरनन की महिमा नामक खड़ी बोली का एक ग्रंथ भी इनका लिखा बताया जाता है पर इसमें अनेक विद्वानों को संदेह है , क्योंकि जहाँगीर इनकी इसकी रचना से अत्यंत रुष्ट हुए और उन्हें हाथी से कुचलवा कर मार डालने का दंड दिया।
Answer:
खड़ी बोली गद्य की प्रथम रचना
Explanation:
इसके लेखक गंग कवि है |
चंद छंद बरनन की महिमा नामक खड़ी बोली का एक ग्रंथ भी इनका लिखा बताया जाता है पर इसमें अनेक विद्वानों को संदेह है , क्योंकि जहाँगीर इनकी इसकी रचना से अत्यंत रुष्ट हुए और उन्हें हाथी से कुचलवा कर मार डालने का दंड दिया।
19वीं शताब्दी के पूर्वार्ध के संबंध में ग्रियर्सन लिखते हैं कि यह समय हिन्दी (खड़ीबोली) भाषा के जन्म का समय था जिसका अविष्कार अंग्रेजों ने किया था और इसका साहित्यिक गद्य के रूप में सर्वप्रथम प्रयोग गिलक्राइस्ट की आज्ञा से लल्लू जी लाल ने अपने प्रेमसागर में किया।
खड़ी बोली हिन्दी का वह रूप है जिसमें संस्कृत के शब्दों की बहुलता करके वर्तमान हिन्दी भाषा की सृष्टि हुई, इसी तरह उसमें फ़ारसी तथा अरबी के शब्दों की अधिकता करके वर्तमान उर्दू भाषा की सृष्टि की गई है। खड़ी बोली से एक तात्पर्य उस बोली से है जिसपर ब्रजभाषा या अवधी आदि की छाप न हो। ठेठ हिन्दी, परिनिष्ठित पश्चिमी हिन्दी का एक रूप।
खड़ी बोली निम्नलिखित स्थानों के ग्रामीण क्षेत्रों में बोली जाती है- मेरठ, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, देहरादून के मैदानी भाग, अम्बाला, कलसिया और पटियाला के पूर्वी भाग, रामपुर और मुरादाबाद। खड़ी बोली क्षेत्र के पूर्व में ब्रजभाषा, दक्षिण-पूर्व में मेवाती, दक्षिण-पश्चिम में पश्चिमी राजस्थानी, पश्चिम में पूर्वी पंजाबी और उत्तर में पहाड़ी बोलियों का क्षेत्र है। मेरठ की खड़ी बोली आदर्श खडी बोली मानी जाती है जिससे आधुनिक हिन्दी भाषा का जन्म हुआ, वही दूसरी और मुजफ्फरनगर बिजनौर,बागपत में खड़ी बोली में हरयाणवी की झलक देखने को मिलती है। बाँगरू, जाटकी या हरियाणवी एक प्रकार से पंजाबी और राजस्थानी मिश्रित खड़ी बोली ही हैं जो दिल्ली, करनाल, रोहतक, हिसार और पटियाला, नाभा, झींद के ग्रामीण क्षेत्रों में बोली जाती है।
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