Khel aur Swasthya par nibandh Sanket Bindu ke sath
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एक प्राचीन कहावत है “पहला सुख निरोगी काया” | इसका मतलब है कि सुखी जीवन का भोग करने के लिए स्वस्थ शरीर का होना जरुरी है | लेकिन शरीर तभी स्वस्थ हो सकता है जब इसके सभी अंग दुरुस्त यानि फिट हो और शारीरिक अंगों को फिट रखने हेतु खेलों से बढ़कर अन्य कोई साधन नहीं है |
जीवन में खेल ही है जो हरेक प्रकार के शारीरिक, सामाजिक, मानसिक, बौद्धिक, और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य गुणों के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान करता है | इसीलिए आधुनिक युग में खेलों के प्रति लोगों की रूचि बढ़ने लगी है |
पहले लोग खेल – कूद को शौक, शुगल, मनोरंजन के रूप में या हॉबी अथवा व्यवसाय के रूप में खेलते थे लेकिन अब जीवन में खेलों के लाभ और महत्व को देखते हुए इसे अपने जीवनशैली में स्वस्थ्य रहने के लिए शामिल करने लगे है |
खेल अब केवल विद्द्यार्थी जीवन के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं रहा बल्कि बच्चे, नौजवानों और बृद्ध सबके जीवन में स्वस्थ सुडौल और पुष्ट शरीर के लिए खेल किसी उपहार से कम नहीं है |
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