Hindi, asked by anushkaofficial66, 2 months ago

khel kud ka Mahtav in hindi essay 100 to 125 words​

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Answered by Simi6310
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HERE IS YOUR ESSAY

खेलकूद जीवन का एक अभिन्न अंग है। जिससे शरीर का शारीरिक विकास के साथ-साथ मनुष्य के मानसिक विकास में भी सहायक होता है।खेल को जीवन में अपनाकर एक तनाव मुक्त खुशहाल जीवन जिया जा सकता है। तथा स्वस्थ जीवन के लिए खेलकूद जरूरी है। खेलकूद मनुष्य के अंदर ऊर्जा तथा चुस्ती, स्फूर्ति लाता है जिससे मनुष्य से आलस्य दूर भागता है और वह अपने दिन भर के कार्यों को खुशी से करता हैं। खेलकूद अनुशासन सिखाता है। और अनुशासन जीवन में आनंद लाता हैं। खेल खेलने से दिमाग की भी कसरत हो जाती है।

खेलकूद जीवन का एक अभिन्न अंग है। जिससे शरीर का शारीरिक विकास के साथ-साथ मनुष्य के मानसिक विकास में भी सहायक होता है।खेल को जीवन में अपनाकर एक तनाव मुक्त खुशहाल जीवन जिया जा सकता है। तथा स्वस्थ जीवन के लिए खेलकूद जरूरी है। खेलकूद मनुष्य के अंदर ऊर्जा तथा चुस्ती, स्फूर्ति लाता है जिससे मनुष्य से आलस्य दूर भागता है और वह अपने दिन भर के कार्यों को खुशी से करता हैं। खेलकूद अनुशासन सिखाता है। और अनुशासन जीवन में आनंद लाता हैं। खेल खेलने से दिमाग की भी कसरत हो जाती है। खेल, जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी है।

Answered by pritisingh01012002
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Answer:

मानव-जीवन में अनेक प्रकार की परेशानियाँ और तनाव है । लोग विभिन्न प्रकार की चिंताओं से घिरे रहते हैं । खेल-कूद हमें इन परेशानियों, तनावों एवं चिंताओं से मुक्त कर देती है । खेल-कूद को जीवन का आवश्यक अंग मानने वाले जीवन में आने वाली समस्याओं का सामना करने में सक्षम होते हैं ।

संत रामकृष्ण परमहंस का कथन है कि ईश्वर ने संसार की रचना खेल-खेल में की है । अर्थात् परमात्मा को खेल बहुत पसंद है । तो फिर परमात्मा की कृति मनुष्य खेलों से क्यों दूर रहे! खेल खेलकर ही लोग जान सकते हैं कि जीवन एक खेल है । जीवन को बहुत गंभीर और तनावयुक्त नहीं बनाना चाहिए । सभी हँसते-खेलते जिएँ तो संसार की बहुत-सी परेशानियाँ मिट जाएँ । अत: जीवन में खेल-कूद का महत्त्वपूर्ण स्थान होना चाहिए ।

खेल-कूद स्वास्थ्यवर्धक होते हैं । ये शरीर के विभिन्न अंगों के उचित संचालन में मददगार होते हैं । खेलने से शरीर का व्यायाम होता है तथा पसीने के रूप में शरीर में जमा जल बाहर निकल आता है । खेल-कूद शरीर और मन में ताजगी लाता है । इनसे मांसपेशियाँ सुगठित हो जाती हैं । मन की ऊब मिटाने और चित्त में प्रसन्नता लाने के लिए खेलों की जितनी भूमिका है उतनी शायद अन्य किसी चीज की नहीं । यही कारण है कि अलग- अलग समाज और देश में विभिन्न प्रकार के खेलों को पर्याप्त महत्त्व दिया जाता है ।

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