Hindi, asked by wwww23, 11 months ago

khelo ka mahatva nibandh in hindi words limit 300 - 400​

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Answered by ashis1982
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Answer:

मनुष्य के जीवन में खेलों का विशेष महत्त्व है । आदिकाल से ही खेल प्रचलन में रहे हैं । आरम्भ में खेलों की खोज मनुष्य ने मनोरंजन के लिए की होगी । प्राचीन काल में मनुष्य के मनोरंजन के लिए अधिक साधन नहीं होते थे ।

तब खेलों के द्वारा मनुष्य कभी-कभार अपना मनोरंजन कर लिया करता था । परन्तु धीरे-धीरे मनुष्य के जीवन में खेलों का विशेष स्थान बनता गया और नये-नये खेलों का आविष्कार होने लगा । आज खेलों ने प्रतियोगिता का रूप ले लिया है । आज खेलों के प्रति बच्चे और युवा ही नहीं, बल्कि वृद्ध भी आकर्षित हो रहे हैं ।

खेलों के द्वारा मनुष्य का शारीरिक व्यायाम तो होता ही है, राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आज खेल-प्रतियोगिताएँ मनुष्य को मनुष्य से जोड़ने का कार्य भी कर रही हैं । अपने मनोरंजन और उछल-कूद के लिए बच्चे तो नित नये खेलों की खोज करते रहते हैं । वास्तव में खेल दो प्रकार के हैं ।

पहले घर अथवा किसी भी स्थान पर बैठकर खेले जाने वाले खेल, जैसे ताश, शतरंज, कैरम बोर्ड, चौपड़, साँप-सीढ़ी, लुडो इत्यादि । दूसरे खुले मैदान में खेले जाने वाले खेल, जैसे खो-खो, कुश्ती, दौड़, ऊँची अथवा लम्बी कूद, रस्साकसी, फुटबॉल, किक्रेट, हॉकी, घुड़दौड़, तैराकी, कबड्डी, बॉस्किट बॉल, चक्का अथवा भाला फेंक, बैडमिंटन, गोल्फ आदि । बैठकर खेले जाने वाले खेलों में अधिक शारीरिक श्रम की आवश्यकता नहीं पड़ती ।

अत: खुले मैदान में भाग-दौड़ करने वाले खेलों का अधिक महत्त्व है । इन खेलों में टीम बनाकर अनेक खिलाड़ी भाग लेते हैं और प्रतियोगिता को जीतने के लिए उन्हें अत्यधिक शारीरिक श्रम की आवश्यकता पड़ती है । इसी कारण कहा जाता है कि खेलों के द्वारा मनुष्य को शारीरिक शक्ति का प्रदर्शन करने का अवसर प्राप्त होता है ।

वास्तव में खेलों से मनुष्य का शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है । खेलों में रुचि रखने वाले व्यक्ति आलस्य और सुस्ती को अपने पास नहीं फटकने देते । नियमित रूप से खेलों में भाग लेकर मनुष्य शारीरिक स्तर पर बलवान बनता है और उसका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है ।

यही कारण है कि खिलाड़ी साधारण व्यक्ति की तुलना में अधिक स्वस्थ और आकर्षक होते हैं । वास्तव में खुले मैदान में खेलों में भाग लेकर मनुष्य के शरीर के लिए आवश्यक व्यायाम की पूर्ति होती रहती है और वह अधिक स्वस्थ रहता है ।

शरीर के साथ खेलों के द्वारा मनुष्य का मानसिक विकास भी होता है । खेलों में भाग लेकर मनुष्य में प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत होती है और वह संघर्ष के प्रति सजग रहता है । अनेक खिलाडियों के साथ जीत के प्रति संघर्ष करने से मनुष्य का बौद्धिक स्तर विकसित होता है ।

उसमें लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कठोर परिश्रम करने का उत्साह जागृत होता है । खेल मनुष्य को जीवन का पाठ पढ़ाने का कार्य भी करते हैं । खेलों से हमें प्रेरणा मिलती है कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ता है । खेल हमें बताते हैं कि वास्तव में जीवन एक प्रतियोगिता है । इसमें हार-जीत चलती रहती है ।

परन्तु हार के कारण निराश होकर नहीं बैठना चाहिए । हारे हुए खिलाड़ी अगली प्रतियोगिता में विजय पताका फहराते हैं । खेलों में खिलाड़ियों का उत्साह देखकर जीवन के प्रति उत्साह जागृत होता है । वास्तव में खेलों में खिलाड़ियों का उत्साह ही खेलों को मनोरंजक बनाता है ।

खेलों में प्रतिद्वन्द्वी टीमों द्वारा मैदान पर किए गए उत्साहपूर्ण संघर्ष को देखकर ही दर्शकों का मनोरंजन होता है । आज राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल प्रतियोगिताएँ आयोजित करके देश-विदेश के लोगों में मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध स्थापित करने के सफल प्रयास किए जा रहे हैं । वास्तव में खेलों के द्वारा मनोरंजन और मैत्री सम्बन्धों को बढ़ावा देने का ही प्रयास करना चाहिए ।

खेलों में खेल भावना का होना बहुत आवश्यक है । खेलों में हार-जीत से कटुता अथवा अहंकार का भाव उत्पन्न नहीं होना चाहिए । खेलों में जीत के लिए नियमों का उल्लंघन करना भी अनुचित है । स्वस्थ प्रतियोगिता से ही खेलों में खेल भावना को बढावा मिल सकता है ।

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