Khinch gai gandh ki lakir si dwara kavi kya kehena chaha rha hai
Answers
Answered by
0
Of Which book and which class
Explanation:
Answered by
2
Answer:
उन रंग-बिछी सुंदर क्यारी मै एक ककोने के अंदर छुपे हुए फूली की गंध जब उस कवि तक पहुंची । तो वह सुगंध उसके प्राणों तक जा पहुँची । कवि उस गंध को अपने प्राणों के अंदर महसूस कर रहा था। उसे ऐसा लग रहा था जैसे मानो वो गंध उसके नथ से लेकर प्राणों तक एक लकीर-सी खिंच के सिमित हुई हो।
Similar questions