ki vartaman jeevan Shaili or shaharikaran se juri Yojana pakshiyon ke liye Ghatak hai yaa nahi ein samasya se bachane ke liye kya karna chahiye nibhand me likhe
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कैसे बचाएं पशु
पक्षी
विलुप्त होने का खतरा झेल
रहे जानवरों और पौधों को बचाए
रखने का एक रास्ता है इनके
संरक्षण की खास
संधि बनाना. इसके जरिए खतरे में
पड़े पौधों और पशु पक्षियों पर
नियंत्रण रखा जा सकता है.
विलुप्त होने की कगार पर
आ चुके पेड़ पौधों और जानवरों को बचाने
के लिए एक खास संधि की
गई है, सीटेस. अब तक
177 देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर
किए हैं. और इन सभी
देशों में परंपराएं अलग हैं, इन सब
की सोच अलग है.
इन्हें इस बात पर एकमत होना
होगा कि वे किन जानवरों और पौधों को
संरक्षित करना चाहते हैं. अगर
किसी एक जीव
को कनवेंशन की
सूची में शामिल करने का
प्रस्ताव आता है तो दो तिहाई सदस्यों
को इसपर अपनी सहमति
देनी होती
है. इस सूची में गोरिल्ला,
व्हेल, कछुए, मूंगे और ऑर्किड
शामिल हैं. अब तक 50,000 जानवर
और करीब 29,000 पौधे
संरक्षित सूची में आते
हैं.
मछली उद्योग
की ताकत
3 से लेकर 14 मार्च तक बैंकॉक में
सीटेस बैठक चल
रही है. इस बार मुद्दा
है समुद्र में मछली
पकड़ना. बड़े मछुआरे अपने जहाजों से
बड़े जाल फेंकते हैं जिससे कुछ
ही मिनटों में मछलियों के
बड़े झुंड को पकड़ा जा सकता है. रोजाना
बड़ी संख्या में मछलियां
पकड़े जाने से उनकी संख्या
लगातार कम होती जा
रही है. मिसाल के तौर
पर नीले परों
वाली टूना
मछली. शोध के मुताबिक अब
पहले के मुकाबले इन मछलियों का
केवल दस प्रतिशत बचा है. इसमें से
ज्यादातर मछलियां जापान में लोगों के मेजों
पर पहुंचती हैं और
सूशी बनाकर खाई
जाती हैं.
2010 के सीटेस समारोह
में इन टूना मछलियों के पकड़ने पर रोक
लगाने के लिए एक प्रस्ताव को
जारी किया गया. लेकिन जापान
और चीन के विरोध ने इस
पर अड़ंगा डाल दिया. जर्मन पर्यावरण
मंत्रालय में विलुप्त होते जानवरों पर
काम कर रहे गेरहार्ड आडम्स
कहते हैं कि जापान ने इस प्रस्ताव
को रोकने के लिए अपने
कूटनीतिक
तरीकों का खूब इस्तेमाल
किया.
पक्षी
विलुप्त होने का खतरा झेल
रहे जानवरों और पौधों को बचाए
रखने का एक रास्ता है इनके
संरक्षण की खास
संधि बनाना. इसके जरिए खतरे में
पड़े पौधों और पशु पक्षियों पर
नियंत्रण रखा जा सकता है.
विलुप्त होने की कगार पर
आ चुके पेड़ पौधों और जानवरों को बचाने
के लिए एक खास संधि की
गई है, सीटेस. अब तक
177 देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर
किए हैं. और इन सभी
देशों में परंपराएं अलग हैं, इन सब
की सोच अलग है.
इन्हें इस बात पर एकमत होना
होगा कि वे किन जानवरों और पौधों को
संरक्षित करना चाहते हैं. अगर
किसी एक जीव
को कनवेंशन की
सूची में शामिल करने का
प्रस्ताव आता है तो दो तिहाई सदस्यों
को इसपर अपनी सहमति
देनी होती
है. इस सूची में गोरिल्ला,
व्हेल, कछुए, मूंगे और ऑर्किड
शामिल हैं. अब तक 50,000 जानवर
और करीब 29,000 पौधे
संरक्षित सूची में आते
हैं.
मछली उद्योग
की ताकत
3 से लेकर 14 मार्च तक बैंकॉक में
सीटेस बैठक चल
रही है. इस बार मुद्दा
है समुद्र में मछली
पकड़ना. बड़े मछुआरे अपने जहाजों से
बड़े जाल फेंकते हैं जिससे कुछ
ही मिनटों में मछलियों के
बड़े झुंड को पकड़ा जा सकता है. रोजाना
बड़ी संख्या में मछलियां
पकड़े जाने से उनकी संख्या
लगातार कम होती जा
रही है. मिसाल के तौर
पर नीले परों
वाली टूना
मछली. शोध के मुताबिक अब
पहले के मुकाबले इन मछलियों का
केवल दस प्रतिशत बचा है. इसमें से
ज्यादातर मछलियां जापान में लोगों के मेजों
पर पहुंचती हैं और
सूशी बनाकर खाई
जाती हैं.
2010 के सीटेस समारोह
में इन टूना मछलियों के पकड़ने पर रोक
लगाने के लिए एक प्रस्ताव को
जारी किया गया. लेकिन जापान
और चीन के विरोध ने इस
पर अड़ंगा डाल दिया. जर्मन पर्यावरण
मंत्रालय में विलुप्त होते जानवरों पर
काम कर रहे गेरहार्ड आडम्स
कहते हैं कि जापान ने इस प्रस्ताव
को रोकने के लिए अपने
कूटनीतिक
तरीकों का खूब इस्तेमाल
किया.
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