kin Bato se Jaat hota hai ki Madhav Das ka Jivan sampann se Bhara tha aur kin Baton se Jaat hota hai ki vah Sukhi nahin tha
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माधवदास अपने नगर का बहुत बड़ा सेठ था। वह जिस पर अपना हाथ रख दे उसका भाग्य चमक जाता था। उसके पास बहुत सारी कोठियां थी, बगीचे थे, दास-दासियों थे। वह छोटी सी चिड़िया के लिए संसार की सभी खुशियां खरीद सकता था। उसके पास संसार कि वह सभी वस्तुएं हैं जिससे उसका वैभव व संपन्नता दिखाई देते हैं। सब कुछ होते हुए भी वह अपने जीवन से खुश नहीं था। उसे अपने अंदर कुछ खाली खाली सा लगता है। उसके पास बहुत सारे महल है परंतु सभी सुने हैं उसमें कोई नहीं चहचहाता। अपने महल में खुशियां लाने के लिए वह उस छोटी सी चिड़िया की खुशामद करता है उसे दुनिया के सभी सुख देने के लिए तैयार है। । माधव दास की बातों से पता चलता है कि उसका जीवन संपन्नता से भरा हुआ अवश्य है परंतु वह अपने जीवन से खुश नहीं है।
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