Hindi, asked by keshavsharma58, 10 months ago

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कोरोना वायरस के डर जब लोग घरों से निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते, तब ऐसे भी 'जांबाज' हैं जो बिना भय के संदिग्धों और मरीजों की सेवा करने में जुटे हैं। इनमें डॉक्टर, सफाई कर्मचारी और पुलिस के जवान सबसे आगे हैं। कोरोना वायरस से निपटने में इनमें से किसी की भी भूमिका को कमतर नहीं आंका जा सकता। जिंदगियां बचाने के लिए ये 'जांबाज' दिनरात काम पर लगे हुए हैं। कई बार ऐसी भी स्थिति आ जाती है जब ये 'जांबाज' संक्रमित के सीधे संपर्क में आ जाते हैं। इसके बावजूद उनका न तो हौसला डिगा है और न ही बेहतर करने में कोई कमी आई है। ये सेना के जवानों की तरह सलामी के हकदार हैं।

जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कोरोना वायरस (कोविड-19) को राज्य में महामारी घोषित कर रखा है। जम्मू कश्मीर में इस वायरस से पीडि़तों की संख्या तीन है। कोरोना से प्रभावित देशों से जम्मू कश्मीर में लौटने वालों की संख्या भी दिनोंदिन बढ़ रही है। यहां आने पर इनकी स्कीनिंग की जा रही है। विदेशों से लौटने वाले इन संदिग्धों को रोजाना क्वारंटाइन किया जा रहा है। कई आइसोलेट किए गए हैं। वायरस से निपटने के लिए नगर निगम, स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग के हजारों कर्मचारी काम पर लगे हैं। ये रेलवे स्टेशन से लेकर एयरपोर्ट और क्वारंटाइन होम से लेकर अस्पताल तक कमान संभाले हुए हैं। मास्क और ग्लब्स पहने इन 'जांबाजों' का बस एक ही मकसद है कि कोरोना को हराना।

जम्मू के राजकीय मेडिकल कॉलेज में कोरोना वायरस के मरीजों का इलाज करने वालों को पर्सनल प्रोटेक्टिव किट दी गई है मगर जो डॉक्टर ओपीडी में बैठे हैं या फिर इमरजेंसी में मरीजों को देख रहे हैं, उनके पास सिर्फ मास्क ही हैं। उन्हें यह जानकारी नहीं होती कि कौन सा मरीज किस बीमारी से पीड़ित है। कई लोग अपनी हिस्ट्री छिपाए हुए हैं। अचानक जब मरीज में लक्षण मिलते हैं तो उन्हें क्वारंटाइन होम में भेजा जाता है।

डॉक्टरों के लिए यह इम्तिहान की घड़ी: मरीजों की देखभाल में लगे एक डॉक्टर ने बताया कि संक्रमण न फैले, यही उनकी ड्यूटी है। वह पीछे नहीं हट सकते। यह तो इम्तिहान की घड़ी है। कई बार उनके पास मास्क भी नहीं होते थे लेकिन तब भी इलाज के लिए कभी पीछे नहीं हटे। कई बार ऐसा होता है कि जांच करते-करते खुद में भी इंफेक्शन हो जाता है। पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ के साथ भी ऐसा ही है। यह स्टाफ भी सीधे संदिग्धों व मरीजों के संपर्क में होते हैं। आइसोलेशन वार्ड में काम कर एक पैरामेडिकल कर्मचारी ने बताया कि रिस्क जरूर रहता है लेकिन यह उनकी ड्यूटी का हिस्सा है।

सफाई कर्मचारी भी किसी से कम नहीं: अस्पतालों के सफाई कर्मचारियों के अलावा नगर निगम के कर्मचारी भी सीधे ऐसे मरीजों के संपर्क में होते हैं, लेकिन इस समय वे भी दिन रात एक किए हुए हैं। ग्लब्स और मास्क पहने हुए यह कर्मचारी सभी वार्डों, ओपीडी व अन्य स्थानों को सैनिटाइज करने में लगे हुए हैं। सफाई कर्मचारी अशोक गिल ने बताया कि उन्हें यह जानकारी है कि कोरोना वायरस के मरीज हैं, मगर यह उनका काम है और वे सफाई कर रहे हैं।

पुलिस कर्मचारी भी नहीं हट रहे पीछे: इस बार पुलिस के जवान भी संपर्क में हैं। उन्हें भी कई बार संदिग्धों को लाने के लिए भेजा गया। उन्होंने भी सुरक्षा के नाम पर सिर्फ मास्क ही पहने हुए हैं। पुलिस वालों में थोड़ा भय जरूर है मगर ड्यूटी देने से वह भी पीछे नहीं हट रहे हैं। वह अस्पतालों के अलावा प्रभवित क्षेत्रों में भी ड्यूटी दे रहे हैं।

कभी भय भी हुआ पर नहीं घटा उत्साह: कुछ दिनों में ही कई बार ऐसा हो चुका है कि जब डॉक्टरों व अन्य का सीधा संपर्क संदिग्धों के साथ हो गया और उन्होंने डॉक्टरों के अचानक हाथ भी पकड़ लिए। इन घटनाओं ने कुछ पल के लिए डॉक्टरों व अन्य स्टाफ को भयभीत जरूर किया लेकिन उनके उत्साह में कोई कमी नहीं आई। दूसरे दिन फिर पहले जैसे ही वे इन संदिग्धों व मरीजों का इलाज करने में जुटे हुए थे। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जेपी ङ्क्षसह, स्वास्थ्य निदेशक डॉ. रेनू खजूरिया सहित कई वरिष्ठ अधिकारी स्वयं मोर्चा संभाले हुए हुए हैं। 

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