CBSE BOARD X, asked by riyaahanda, 1 year ago

Kindly Give Brief Notes On The Hindi Topic - “Rass”
Brainliest Will Be Given To The Person With Best Answer...

Answers

Answered by tainyjaingmailcom
1
1 श्रृंगार रस

श्रृंगार रस को रसराज माना गया है , क्योंकि यह अत्यंत व्यापक रहा है।
(1) संयोग श्रृंगार –
संयोग श्रृंगार वहां होता है जहां नायक-नायिका की मिलन अवस्था का चित्रण किया जाता है।
(2)वियोग श्रृंगार
वियोग श्रृंगार वहां होता है जहां नायक-नायिका में परस्पर प्रेम होने पर भी मिलन संभव नहीं हो पाता |

2 हास्य रस
हास्य रस का स्थाई भाव ‘ हास्य ‘है साहित्य में हास्य रस का निरूपण बहुत ही कठिन कार्य होता है क्योंकि थोड़ी सी असावधानी से हास्य फूहड़ मजाक में बदल कर रह जाता है।

3 करुण रस
करुण रस में हृदय द्रवित हो कर स्वयं उन्नत हो जाता है भावनाओं का ऐसा परीसपाद होता है कि अन्य रस तरंग किया बुलबुले के समान बहने लगते हैं इसका स्थाई भाव ‘ शौक ‘है करुण रस लीन मग्न होकर हमारी मनोवृत्तियों स्वच्छ होकर निर्मल हो जाती है।

4 वीर रस
समाजिकों के हृदय में वासना रुप से विद्यमान उत्साह स्थाई भाव काव्यों आदि में वर्णित विभाव अनुभाव संचारी भाव के संयोग से जब रस अवस्था में पहुंचकर आस्वाद योग्य बन जाता है तब वह वीर रस कहलाता है ।

5 भयानक रस
विभाव , अनुभाव एवं संचारी भावों के प्रयोग से जब सर्व हृदय समाजिक के हृदय में विद्यमान है स्थाई भाव उत्पन्न हो कर या प्रकट होकर रस में परिणत हो जाता है तब वह भयानक रस होता है वह की वृत्ति बहुत व्यापक होती है यह केवल मनुष्य में ही नहीं समस्त प्राणी जगत में व्याप्त है।

6 रौद्र रस
इसका स्थाई भाव क्रोध है विभाव अनुभाव और संचारी भावों के सहयोग से वासना रूप में समाजिक के हृदय में स्थित क्रोध स्थाई भाव आस्वादित होता हुआ रोद्र रस में परिणत हो जाता है ।

7 वीभत्स रस
घृणित वस्तुओं को देखकर या सुनकर ‘जुगुप्सा’ नामक स्थाई भाव जब विभाव अनुभाव संचारी भावों के सहयोग से परिपक्व अवस्था में पहुंच जाता है तो विभत्स रस में परिणत हो जाता है |

8 अद्भुत रस
अद्भुत रस का स्थाई भाव विस्मय है विस्मय में मानव की आदिम प्रवृत्ति है खेल – तमाशे या पूरे कला कौशल से उत्पन्न विस्मय में उदात भाव हो सकता है परंतु रस नहीं हो सकता ।

9 शांत रस
शांत रस की उत्पत्ति तत्वभाव और वैराग्य से होती है इसका स्थाई भाव निर्वेद है विभाव अनुभाव व संचारी भावों से संयोग से हृदय में विद्यमान निर्वेद स्थाई भाव स्पष्ट होकर शांत रस में परिणत हो जाता है ।

10 वात्सल्य रस
वात्सल्य रस का आलंबन आधुनिक आचार्यों की देन है | सूरदास ने अपने काव्य में वात्सल्य भाव का सुंदर विवेचन किया और इसके बाद इसे अंतिम रूप से रस स्वीकार कर लिया गया |

11 भक्ति रस
संस्कृत साहित्य में व्यक्ति की स्वतंत्र रूप से नहीं है | किंतु बाद में मध्यकालीन भक्त कवियों की भक्ति भावना देखते हुए इसे स्वतंत्र रस के रूप में व्यंजित किया गया |

riyaahanda: That’s All What I Wanted
riyaahanda: Thank you
tainyjaingmailcom: my plzr
tainyjaingmailcom: plz mark as brainliest
Similar questions