History, asked by aden114, 10 months ago

Kis mahal ka prayog gayasuddin khilji dwara janankhana ke taur per kiya jata tha

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Answered by Anonymous
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एक समय था गुलामी प्रथा का, जहां इंसान कौड़ियों से लेकर अशर्फियों के दाम में खरीदे और बेचे जाते थे! बोलियां लगती थीं और गरीब अमीरों के तलबे चाटते थे.

योग्यता और रंग-रूप पैमाना था कि कौन किस दाम पर तोला जाएगा.

भीड़ बढ़ रही है, गुलामों का बाजार सजा हुआ है और उनके मालिक बोली लगाने को तैयार हैं. इन्हीं लोगों के बीच नाटे कद का, चेहरे पर चेचक के दाग लिए कुरूप सा दिखने वाला एक पुरुष भी गुलामों की इस मंडी में खड़ा हुआ है.

उसके साथ खड़े गुलाम बिकते जा रहे हैं, लेकिन उसकी ओर किसी का ध्यान नहीं गया.

आख़िर में वह अकेला बच गया तो उसने खरीददार ख्वाजा जमालुद्दीन बसरी से सवाल किया कि आप गुलामों को क्यों खरीदते हो?

जवाब मिला सुल्तान के लिए.

गुलाम ने फिर कहा कि तुम मुझे खुदा के लिए खरीद लो!

यह कहने वाला कोई और नहीं इतिहास में दर्ज गयासुद्दीन बलबन था, जिसने आगे चलकर दिल्ली सल्तनत पर राज किया!

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