Kis pradhanmantri new 991 mein purab ki aur dekho ki niti karan kiya tha
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पूर्व की ओर देखो नीति भारत द्वारा द॰ पू॰ एशिया के देशों के साथ बड़े पैमाने पर आर्थिक और सामरिक संबंधों को विस्तार देने, भारत को एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित करने और इस इलाके में चीन के प्रभाव को संतुलित करने के उद्देश्यों से बनाई गई नीति है।[1] वर्ष १९९१ में नरसिंह रावसरकार द्वारा शुरू की गयी इस नीति के साथ ही भारत के विदेश नीति के परिप्रेक्ष्यों में एक नई दिशा और नए अवसरों के रूप में देखा गया और वाजपेयी सरकार तथा मनमोहन सरकार ने भी इसे अपने कार्यकाल में लागू किया।
वस्तुतः यह नीति शीत युद्ध की समाप्ति के बाद उभरे नए वैश्विक और क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्यों, शक्ति संतुलन और भारत की नई आर्थिक नीतियों के साथ विदेश नीति के समन्वय की अवधारणा का परिणाम है जिसके मूल रूपरेखाकार के रूप में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह जी को देखा जाता है।[2] यह इन क्षेत्रों के साथ नए रिश्ते बनाने की शुरुआत नहीं थी बल्कि प्राचीन काल के, किन्तु एक दीर्घअवधि से उपेक्षित, रिश्तों को पुनर्जीवित करने की कोशिश थी।
हाल के नतीजों को देखा जाय तो इस बात को स्वीकार करने के कई कारण हैं कि भारत को इस नीति से लाभ हुआ है और वह इस नीति के द्वारा अपने संबंध इन पूर्वी देशों से मजबूत करने में सफल रहा है। जिस तरह भारत "पूर्व की ओर देखो" की नीति अपनाए हुए हैं उसी तरह थाईलैंड“पश्चिम की ओर देखो” की नीति अपनाए हुए हैं और ये दोनों नीतियां एक ही बिन्दु पर मिलती हैं।[2] भारत ने चीन को भी बार-बार यह समझाने की कोशिश की है कि यह नीति चीन के कंटेंनमेंट के लिये नहीं है जैसा कि चीन इसे
वस्तुतः यह नीति शीत युद्ध की समाप्ति के बाद उभरे नए वैश्विक और क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्यों, शक्ति संतुलन और भारत की नई आर्थिक नीतियों के साथ विदेश नीति के समन्वय की अवधारणा का परिणाम है जिसके मूल रूपरेखाकार के रूप में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह जी को देखा जाता है।[2] यह इन क्षेत्रों के साथ नए रिश्ते बनाने की शुरुआत नहीं थी बल्कि प्राचीन काल के, किन्तु एक दीर्घअवधि से उपेक्षित, रिश्तों को पुनर्जीवित करने की कोशिश थी।
हाल के नतीजों को देखा जाय तो इस बात को स्वीकार करने के कई कारण हैं कि भारत को इस नीति से लाभ हुआ है और वह इस नीति के द्वारा अपने संबंध इन पूर्वी देशों से मजबूत करने में सफल रहा है। जिस तरह भारत "पूर्व की ओर देखो" की नीति अपनाए हुए हैं उसी तरह थाईलैंड“पश्चिम की ओर देखो” की नीति अपनाए हुए हैं और ये दोनों नीतियां एक ही बिन्दु पर मिलती हैं।[2] भारत ने चीन को भी बार-बार यह समझाने की कोशिश की है कि यह नीति चीन के कंटेंनमेंट के लिये नहीं है जैसा कि चीन इसे
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