Kisanon ne apiki aandolan khaan suru kiya
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जब सरकारी वैज्ञानिकों ने गांव-वासियों को परम्परागत मिश्रित कृषि व्यवस्था जिसमें 12 अनाजों का उत्पादन होता था, की जगह सोयाबीन तथा चावल जैसे एक प्रकार की फसल के बीजों को बोने को प्रोत्साहित किया तो हेवलघाटी के गांधीवादी कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया। इन्होने परम्परागत 12 अनाजों वाली खेती तथा प्राकृतिक खादों के उपयोग को कई आधारों पर उपयोगी सिद्ध किया। महिलाओं का इस अभियान में बहुत सहयोग मिला। इस अभियान के दौरान गांव-गांव जाकर परम्परागत बीज इक्कठे किए गए, उन्हें गांव वालों के बीच वितरित किया गया तथा उनको खेतों में जाकर बोया गया। इस अभियान से चावल की लगभग 200 किस्मों, राजमा की 150 किस्मों तथा बीजों की कई प्रजातियों को लुप्त होने से बचाया गया।
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