Kisi Aisi yatra ka varnan Karen jisse Aap Ki Zindagi Badal Gayi Ho 500 words mein
plz it's important 50 points
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Answer:
Apne ghar me to sab hi rehte Apne Apne kaam karte hai par kuch samay Baad wo unhi kaamo se ubb jaate hai aur wo kuch Naya chahte hai jo unko accha ehsaas karaye isliye jagah jagah yaatra karte hai aise hi hoo me Mai inn garmi ki chutti me .......ghumne gyi/gya thi jab tak me ghar me thi /tha to normal thi par jab me bahar gyi to waha ki nahi nayi cheeze naye log tarah tarah ke khane wagarah wagarah waha ka Mausam matlab ki sabkuch mere Naya aur ek pyaara sa ehsaas tha waha ki waadiyo ki thandi hawa lag that tha ki me ek panchi hoo jo khule Aasman me udd rhi/rha hoo aur koi nhi hai meri saara tanaaw pareshani Jaisi har cheez jaise mere aas paas se khatam hogyi ho aur jeene ki nayi iccha ya Chahat mere andar aagyi ho Mene khub accha samay bitaya aur iss Yatra ne mere andar ek nayi soch aur nayi zindagi ki umeed jaga di isliye me yhi khoongi/khoonga ki hamesha khul kar jeeyo kabhi bhi apni pareshani ya dukh Ko itna mat badao ki tum jeena hi bhul jaao
dhanyawaad
so that's it and I hope it will help you
Explanation:
aap jis bhi jagah ghumne gyi/gye ho uska name likhdiye ok
यह बात पिछली गर्मियों की है जब मैं अपने परिवार के साथ हमारे देश की राजधानी दिल्ली घूमने गया था | मैं बहुत खुश था क्योंकि मैं कभी भी पहले दिल्ली नहीं गया था और बचपन से यह मेरा सपना था कि एक दिन दिल्ली ज़रूर जाऊँगा और सभी ऐतिहासिक स्थलों का दौरा करूँगा | दिल्ली यात्रा के दौरान मैंने कई ऐतिहासिक जगहों की यात्रा की और इसी दौरान हम लोग दिल्ली की उन झुग्गी झोंपड़ियों वाले स्थान पर गए जिसे लोग अक्सर दिल्ली की सुन्दरता पर दाग कहते हैं वहां पर जाके यह जाना की वहां रहने वाले लोगों की स्थिति कितनी दयनीय है और दिल्ली बाहर से तो बहुत ही सुंदर और प्रगतिशील शहर जान पड़ता है लेकिन यहाँ आकर पता लगा की यह शहर पैसे वालों के लिए ही है और एक गरीब आदमी का जीवन बहुत दयनीय है | वहां पर मैंने पाया कि वहां रहने वाले बच्चे पाठशाला जाने से वंचित हैं और कूड़े के ढेर से उठा कर भोजन करने को मजबूर हैं | बच्चों के पास पहनने के लिए कपड़े तक नहीं और रहने का तो क्या कहूँ , गंदे नालों में उन लोगों ने अपने झोंपड़े बना रखे थे | उस दिन मुझे यह महसूस हुआ कि जितना खाना हम अपने थाली में जूठा छोड़ देते हैं वह उतने खाने के लिए
भी तरसते हैं | यह सब देख कर मेरा मन बहुत उदास हुआ |
यह सब देख कर मेरा मन में विचार आया कि मुझे इन गरीब बच्चों के लिए कुछ करना चहिए | मैंने अपने दोस्तों को सारी बातें बताई तो वह भी बहुत दुखी हुए और हम सब ने यह निर्णय लिया कि हम ऐसे बच्चों और परिवारों की हरसंभव मदद करेंगे ताकि उन्हें भी यह एहसास हो कि उनका जीवन भी उतना ही महत्व रखता है जितना की हमारा |