kisi ek ghatna par nibandh likhiye
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जी ऐसी तो बहोत सी घटनाए है पर मै आपको अपने बचपन की एक घटना बताता हू जो A P J अब्दुल कलाम जी के घटना से मिलती जुलती है और इस घटना ने मेरे अंदर बहोत गहरा प्रभाव डाला
बात उस समय की है जब मै सिर्फ 14 या 15 साल का था और नौवी कक्षा मे पढ़ता था। पढ़ने मे ज्यादा मन नही लगता था इसलिए माता-पिता ने सभी चीजों मे मेरा टाइम fix कर दिया था। शायद आप समझ सकते है उन दिनो मेरे व्यथाओ को।
हर दिन मै स्कूल से चार बजे घर आ जाता था और उसके बाद कपड़े बदलकर खेल के मैदान मे। एक भी चूक नही होती थी क्योकी एक घंटे का समय ही मिलता था खेलने के लिए उसके बाद पढ़ने के लिए बैठ जाओ बस।
एक दिन की बात है जब स्कूल से जल्दी छुट्टी हो गई इसलिए हमे ज्यादा टाइम मिल गया था खलने के लिए, मानो कोई लॉटरी लग गई हो। उन दिनो हम फुटबॉल खेला करते थे जिसके नियम खास हमे मालूम नही थे बस दोनों टीमों को बराबर-बराबर बाँट दो और लग जाओ।
ज्यादा टाइम के कारण पूरे मोहल्ले के बच्चे जोस मे थे इसी कारण कब खेल-खेल मे चार घंटे बीत गए पता ही नही चला। शाम हो गई और अंधेरा छा गया। हम सब अपने-अपने घर चले गए और मै मम्मी की डांट से बचने के लिए मै पढ़ने का दिखावा करने लगा।
ज्यादा खेलने के कारण मुझे बहोत जोरों से भूंख लग रही थी लेकिन रात का खाना पूरा परिवार सांथ बैठकर ही खाता था इसलिए हम पापा का इंतजार कर रहे थे और भूख के कारण मेरी जान जा रही थी।
पापा रात के नौ बजे घर आए उन्हे देखकर मुझे थोड़ा राहत मिली और आखिरकार खाना परोसा गया। हम सब खाना खा रहे थे मम्मी को छोडकर उन्होने कहा बाद मे खा लेंगी। उस दिन भूंख के कारण मेरा पेट कुआं बन गया था मै बस खाए जा रहा था सबको हैरानी हो रही थी की आज मुझे क्या हुआ है।
सारा खाना ख़त्म हो गया सिर्फ एक रोटी बची हुई थी और आखिरकार मैंने कहा अब नही खाऊँगा। मम्मी किचन मे वो एक रोटी और आचार लेकर बैठ गई खाने के लिए तभी मै किचन मे आया और वो रोटी भी मम्मी से लेकर चला गया।
उस दिन मम्मी खाली पेटे ही सो गई बिना किसी को बताए इस बात का पता हमे एक साल बाद चला जब सब बैठकर हसी-ठिठोली कर रहे थे। भले ही ये छोटी सी बात हो पर इसने मुझे अंदर तक हिला दिया इसके बाद से मेरे स्वाभाव मे कई तरह के बदलाव आए।
पापा शाम को कुछ खाने के लिए घर लाते तो मै अपने भाई या बहन झगड़ता नही था पहले सिर्फ अपनी खुशी देखता था अब मम्मी-पापा की खुशी देखने लगा हू।
ऐसे बहोत सी छोटी-छोटी घटनाए आपके सांथ होती रहती है पर आपने माता-पिता के sacrifice के कारण आप कभी जान ही नही पाते और ना वो आपको बताते। इसलिए बदले मे आपको उन्हे ढेर सारा प्यार देना चाहिए।