kisi "natak" ka varnan karte hue mitra ko patra likhiye
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73, राजेंद्र नगर,
नई दिल्ली,
दिनांक :_____
प्रिय वरुण,
सप्रेम नमस्ते ।
आशा है तुम सकुशल एवं आनंद से होगे । मैं भी यहाँ अपने परिवारजनों सहित कुशलपूर्वक हूँ ।
आज मैंने तुम्हें खास ये पत्र ये बताने के लिए लिखा है कि यहाँ रामलीला का नाटक बहोत बढ़िए से हो रहा है । तुम्हारा छोटा भाई लक्षमण बना है और में राम । तुम्हारे सहेली सिया मेरे साथ सीता का रोल कर रही है । नाटक हर भार की तरह बहोत सराहा जा रहा है । तुम्हारे प्रतीक्षा में हु जल्दी आना ।
सप्रेम,
तुम्हारा मित्र
चाँद
छपरा
दिनांक 20-09-19
प्रिया मित्र
तुमहर पत्र मिला।पढकर अत्यन्त खुसी हुई की पिछ्ले वर्ष की तरह इस वर्ष भी तुम अपने वर्ग मे प्रथम आयी हो।तुमने अपने लिखे पत्र में जानना चाहा हमरे स्कूल मे खेले गए नाटक के विषय पर।नाटक का नाम था-श्रवन पितृभाक्ती।इस नाटक मे श्रवन के माता पिता अन्धे थे।उन्होने अपने पुत्र से तीर्थातं की इक्षा व्यकत की।श्रवन कुमार एक पितृभकत बालक थे।वह बिना अपने परवाह किये अपने मता-पितको एक बहन्गी पर बिठाकर
तीर्थातं की ओर चल परे और एक आदर्श पुत्र का उधराआं प्रस्तूत किया।इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है की हमे भी श्रवन कुमार की तरह मता-पिता का भकत होना चाहिए।तथा उनकी इक्षा का समान करना चाहिए ।
विशेश अगले पत्र मे
तुमहरि मित्र