Music, asked by parteekVerma, 11 months ago

Kisi tirth sthan diyatra in Punjabi

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Answered by KrishnaBirla
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एक बार मैं हरिद्वार की यात्रा में गया । वह मंदिरों का शहर था। वहाँ विभिन्न प्रकार के मंदिर विद्यमान थे। विशाल और सुंदर मंदिर मन को शांति प्रदान कर रहे थे। शाम को हम आराम करने के पश्चात गंगा माता के घाट पर गए। कलकल करती गंगा माता मानो जीवन को सुख प्रदान कर रही हो। वहाँ विभिन्न घाट विद्यमान थे। हम हरकी पौड़ी नामक घाट पर गए। पिताजी ने दादा के नाम का पिंडदान किया। हम शाम की आरती की प्रतीक्षा करने लगे। संध्या के समय घाट पर विभिन्न तरह के दीप जल उठे। आरती आरंभ हो गई। पूरे घाट में माँ गंगा की आरती गूंज उठी। बड़े-बड़े दीपदानों से गंगा माँ चमक उठी। ऐसे लग रहा था मानो माँ गंगा में इन दीपों का सोना रूपी प्रकाश मिल रहा हो। मेरी आँखें ऐसा दृश्य देखकर भावविभोर हो उठी। मैंने जीवन में कभी परम शांति और सुख का अनुभव नहीं किया था। भक्ति की भावना मेरी नसों में प्रवाहित होने लगी। आरती के पश्चात हम बहुत देर तक माँ गंगा के पवित्र जल में पैरों को डूबाए बैठे रहें। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो माँ गंगा मुझे चिरंजीवी रहने का आशीर्वाद दे रही हो। पिताजी के कहने पर हम प्रातःकाल फिर से उसी घाट पर गए और माँ के ठंडे शीतल जल का स्पर्श पाकर धन्य हो गए ।
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