Hindi, asked by shruti9526, 9 months ago

kisi yatra ka varnan dairy shali mein karo ​

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Answered by varuncharaya13
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यात्रा यानि की अपनी जगह से कई दूर घुमने फिरने के लिए जाना ताकि हम अपनी रोज की भाग दौड़ भरी जिंदगी से कुछ समय के लिए निजात पा सके और अपने परिवार और दोस्तों को समय दे सके। यात्रा से व्यक्ति को बहुत अच्छा महसूस होता है और सभी के साथ मिल जुलकर रहने का अच्छा समय भी मिलता है। यात्रा के कई साधन है जैले कार,बस, रेलगाड़ी आदि। मुझे तो सबसे ज्यादा ट्रेन की यात्रा पसंद है। भारत में बहुत से पर्यटन स्थल है। बहुत से यात्री वहाँ जाते है और वहाँ की सुंदरता का लुप्त उठाते है। लोग धार्मिक स्थलों की भी यात्रा करने जाते हैमैं भी इस साल अप्रैल में अपने दोस्तों के साथ वैष्णों देवी की यात्रा पर गई थी। मैं वहाँ अपने परिवार के साथ पहले भी जा चुकी थी और हमनें बहुत ही मजे किए थे। दोस्तों के साथ यात्रा का और परिवार के साथ यात्रा का अलग ही मजा है। हम पाँच दोस्त थे और हमने रेलगाड़ी से यात्रा करने का तय किया था और उस समय रेलों मैं बहुत ही ज्यादा भीड़ थी। हमारी ट्रेन अंबाला से रात के 10 बजे की थी। ट्रेन के आते ही हम सब उसमें सवार हो गए और खाना खाया। हम सभी दोस्तों ने रात को लुडो खेला, अंताक्षरी खेली। जम्मु से ट्रेन के गुजरते वक्त हमनें खिड़किया खोलकर ठंडी हवा का आंनद लिया। हम सुबह 7 बजे कटरा पहुँचे जहाँ के पहाड़ों में माता वैष्णों देवी का मंदिर स्थित हैहम लोगों ने वहाँ पर पहुँचकर हॉटल में कमरा लेकर विश्राम किया और एक बजे माता के मंदिर के लिए चढाई शुरू की जो कि 14 किलोमीटर की है। लगभग दो किलोमीटर चढ़ने के बाद हम बाण गंगा पहुँचे और वहाँ पर स्नान किया। गंगा का पानी बहुत ही शीतल था। उसके बाद हमने रूककर खाना खाया। वैष्णों देवी की चढ़ाई पर सुरक्षा के बहुत ही अच्छे इंतजाम किए गए है। बुढ़े लोगों की चढाई के लिए खच्चर और पालकी आदि का इंजाम है। बच्चों को और बैगों को उठाने के लिए पिठ्ठू वाले है। उनकी हालत बहुत ही दयनीय होती है वह अपनी आजीविका चलाने के लिए यह कार्य करते है। हम आस पास देखते हुए हंसते खेलते माता रानी का नाम लेकर चढ़ाई चढ़ते गए। दोपहर में गर्मी होने के कारण हम थोड़ी-थोड़ी दुरी पर नींबू पानी जूस आदि पीते रहे। ऐसे करते करते हम माता के मंदिर पहुँच गए और 6 घंटे लाईन में लगने के बाद माता रानी के दर्शन हुए। उसके बाद हमनें भैरों बाबा की चढ़ाई शुरू की जिसके बिना यात्रा को अधुरा माना जाता है। रात को बहुत ही ज्यादा ठंड हो गई थी। हमनें नीचे उतरना शुरू किया। कमरे पर पहुँच कर हमने आराम किया और वापसी के लिए ट्रेन पकड़ी। तीन दिन की इस यात्रा ने हमें बहुत ही सुखद अनुभव दिया जिसे हम कभी नहीं भूल सकते।


varuncharaya13: plz mark as me brainlist
shruti9526: your answer is wrong
varuncharaya13: write answer h
shruti9526: that's not in diary shali
shruti9526: copy cat
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