Kisne Shah Jahan Ka Mayur sinhasan Luta
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Shah jahan ka Mayur Singhasan ,jise Takht-e-Taus bhi kaha jata hai, use Nader Shah ne luta tha.
शाहजहाँ का 'मयूर सिंहासन' अर्थात् 'तख्ते-ताऊस' दरअसल दुनिया का सबसे नायाब कोष था,जिसमे विश्व विख्यात कोहिनूर हीरे के साथ-साथ उस जैसे ना जाने कितने ही अनगिनत हीरे-जवाहरात और अनमोल रत्न जड़े हुए थे। 6 फीट लम्बा , 5 फीट चौड़ा और 5 फीट ऊंचा ये तख़्त अपने अन्दर लगभग 1200 किलो सोना खपाए बैठा था,इसके दोनों तरफ अपने पंख फैलाये मयूर बनाये गए थे जिनके पंखों में ही अनगिनत रंगों के हीरे-पन्ने-माणिक और एनी रत्न सजाये गए थे,तख़्त के बीचो-बीच एक पेड़ की आकृति बनाई गई थी जिसके केंद्र में कोहिनूर हीरा जड़ा था जिस कोहिनूर के लिए ये कहा जाता है कि शायद अँगरेज़ उसे अपने साथ ले गए थे,मगर तख्ते-ताऊस कहाँगया?
औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद मुग़ल साम्राज्य कमज़ोर होने लगा और कई बाहरी आक्रमण हुए जिसमे नादिरशाह का हमला सबसे अहम था। ऐतिहासिक कत्लेआम के बाद उसने दिल्ली को इस तरह लूटा और रौंदा कि मृत्यु भी काँप उठी । कई इतिहासकार कहते हैं कि नादिरशाह ही उस बेशकीमती तख्ते-ताऊस के अतिरिक्त 15 करोड मूल्य के सोने तथा उसके साथ-साथ हीरे, जवाहरातों से लदे 300 हाथी, दस हजार घोडे, इतने ही ऊंट अपने साथ फारस ले गया।
तख्ते-ताऊस के फारस पहुंचने के प्रमाण तो मिलते हैं परन्तु उसके बाद उसका क्या हश्र हुआ इसकी कहीं भी जानकारी नहीं मिलती।कुछ इतिहासकारों के अनुसार कुर्दों ने नादिरशाह की हत्या के बाद सिंहासन को तोड कर उसकी अमूल्य संपत्ति को आपस में बांट लिया था।
परन्तु कुछ विद्वानों का मत है कि मूल तख़्त सुरक्षित था और 18वीं शताब्दि के अंत में अंग्रजों ने उसेअपनेअधिकार मे ले लिया था। जिसे “ग्रासनेवर” नामक जहाज द्वारा बड़े ही ख़ुफ़िया तरीक़े से कोहिनूर हीरे की तरह ही इंग्लैंड के लिए रवाना कर दिया गया था।पर दुर्भाग्य से "ग्रासनेवर" एक भयंकर समुद्री तूफान की चपेट में फंस कर अफ्रिका के पूर्वी तट पर सागर में डूब गया। पिछले दो सौ सालों से उसका पता लगाने के कई प्रयास हो चुके हैं पर कोई भी अभियान सफल नहीं रहा।