Kitabe Kavita ka bhavarth
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first share the pictures of your Kavita then I'll
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1. कवी कम्प्युटर के युग मे किताबो की पहले जैसी उपयोगिता न रह जाने पर अपनी तीव्र मानसिक पीडा का चित्रण करते हुए कहते है की आज कल किताबे अलमारी मे रखने भर की चीज हो गई है। ( अब उन्हे अलमारी से निकालने की जरूरत ही नही पडती।)
बंद अलमारी की और देखने पर ऐसा लगता है, जसे किताबे अलमारी के शीशो से कवि की और झाक रही हो। वे कामना करते है की है बाहर निकाल कर कोई पडे। कवी कहते है कि अब तो नहीं गुजर जाते है,किताबो से मिलना ही नही होता ।एक
समय ऐसा था, जब उनकी शाम इन किताबों को पढ़ने में लगा
करती थी, पर अब अकसर....
2. कवि कहते हैं कि कंप्यूटर आने के पहले उनकी शाम किताबें
पढ़ने में बीता करती थी, पर जब से कंप्यूटर आ गया है, तब से
वे कंप्यूटर पर ही पढ़ते-लिखते हैं। इसलिए उनकी शाम कंप्यूटर
के परदे पर बीतने लगी है। इस वियोग के कारण किताबें बहुत
बेचैन रहने लगी हैं। अब हालत यह हो गई है कि ये किताबें
नींद में चलने लगी हैं। अर्थात वे कवि को अब सपने में कभी
दिखाई देती हैं। इन किताबों से जिन मानव-मूल्यों की जानकारी
मिलती थी और जो अक्षुण्ण हुआ करते थे, वे मानव मूल्य अब घर मे नजर नही आते है। ये किताबे रिश्तो-संबंधो के बारे मे बताती थी।
3. कवि किताबों की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि ये किताबें रिश्तों-संबंधों के बारे में बताती थीं। वे सारे संबंध अब उधड़ गए हैं, टूट से गए हैं। अब वे उन किताबों का कोई पन्ना पलटते हैं, तो उनकी हालत देखकर उन्हें रोना आ जाता है और उनके गले से सिसकारी निकलने लगती है। इन पन्नों से कई शब्दों के अर्थ फटकर गिर पड़े हैं। बिना अर्थ वाले शब्द ऐसे दिखाई दे रहे हैं, जैसे वह बिना पत्तियों वाला कोई ऐसा दूँठ हो, जिस पर अब कोई अर्थ नहीं उगने वाला।
4. कवि पुस्तकों और कंप्यूटर पर पृष्ठ पलटने के तरीकों के बारे में कहते हैं कि किताबों के पृष्ठ पलटने में जीभ को एक प्रकार का स्वाद मिलता था। अब कंप्यूटर पर उँगली से क्लिक करने पर पृष्ठ पलक झपकते बदल जाता है। परदे पर मनचाहे ढंग से एक-के-बाद एक कोई भी पृष्ठ खोला जा सकता है। इसके कारण लोगों का किताबों से बना हुआ निजी संपर्क अब टूट गया है।
5. कवि किताबों के संपर्क के बारे में बताते हुए कहते हैं कि
किताबें पढ़ते समय वे किताब को कभी छाती पर रख कर लेट जाते थे, कभी उसे गोद में रख लेते थे। कभी अपने घुटनों को 'रिहल' की तरह बना कर पुस्तक उस पर रखकर आधा माथा टेक कर पढ़ते थे। उसे माथे पर चढ़ाते थे, ताकि भविष्य में भी उससे ज्ञान प्राप्त होता रहे।
6. किताबों के साथ कुछ रोचक बातें भी जुड़ी हुई होती थीं।
(कंप्यूटर पर आधारित हो जाने पर अब शायद उनका अस्तित्व नहीं होगा।) किताबों में कभी-कभी किसी के लिए फूल या संदेश-पत्र रख दिया जाता था। जिन्हें लोग सूख जाने पर भी सँभाल कर रखते थे। ये उनके संबंधों को ताजा करते थे। किताबों के गिरने और उठाने के बहाने कुछ लोगों के (जिंदगी भर के) संबंध जुड़ते थे। कवि कहते हैं कि जब किताबों का उपयोग नहीं होगा, तो ऐसे संबंध कैसे बनेंगे?