India Languages, asked by rajshree71833, 11 months ago

koi 5 shiksha padh sanskrit mai chitra sahit​

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Answered by mysterious0115
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Answer:

सत्यस्य वचनं श्रेयः सत्यादपि हितं वदेत्।

यद्भूतहितमत्यन्तं एतत् सत्यं मतं मम्।।

- यद्यपि सत्य वचन बोलना श्रेयस्कर है तथापि उस सत्य को ही बोलना चाहिए जिससे सर्वजन का कल्याण हो। मेरे (अर्थात् श्लोककर्ता नारद के) विचार से तो जो बात सभी का कल्याण करती है वही सत्य है।

* सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात ब्रूयान्नब्रूयात् सत्यंप्रियम्।

प्रियं च नानृतम् ब्रुयादेषः धर्मः सनातनः।।

- सत्य कहो किन्तु सभी को प्रिय लगने वाला सत्य ही कहो, उस सत्य को मत कहो जो सर्वजन के लिए हानिप्रद है, (इसी प्रकार से) उस झूठ को भी मत कहो जो सर्वजन को प्रिय हो, यही सनातन धर्म है।

* क्षणशः कणशश्चैव विद्यां अर्थं च साधयेत्।

क्षणे नष्टे कुतो विद्या कणे नष्टे कुतो धनम्॥

क्षण-क्षण का उपयोग सीखने के लिए और प्रत्येक छोटे से छोटे सिक्के का उपयोग उसे बचाकर रखने के लिए करना चाहिए। क्षण को नष्ट करके विद्याप्राप्ति नहीं की जा सकती और सिक्कों को नष्ट करके धन नहीं प्राप्त किया जा सकता।

* अश्वस्य भूषणं वेगो मत्तं स्याद गजभूषणम्।

चातुर्यं भूषणं नार्या उद्योगो नरभूषणम्॥

तेज चाल घोड़े का आभूषण है, मत्त चाल हाथी का आभूषण है, चातुर्य नारी का आभूषण है और उद्योग में लगे रहना नर का आभूषण है।

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