Hindi, asked by avneetkaurfanclub, 3 months ago

koshish karne walo ki kabhi haar nahi hoti
anuched likhiye 80 - 100 sabdo mai​

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Answered by angel368
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Answer:

इस कहावत से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें पराजय के समय में भी हौसला नहीं छोड़ना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं कि हार से व्यक्ति अचंभित तथा निराश हो जाता है। कई बार हमारी हार हम पर इतना गहरा असर डालती है कि हम उसे स्वीकार कर आगे मेहनत करना ही छोड़ देते हैं। किन्तु यह सही नहीं है। हमें अपनी हार का कारण पता लगाने का प्रयास करना चाहिए। उस कारण को पता लगाकर हमें फिर से कोशिश करनी चाहिए। यदि हम कोशिश नहीं करेंगे तो हम हारे ही रह जाएंगे। हमें अपने अंदर सहनशीलता तथा हिम्मत रखनी चाहिए। ऐसी अधिक लोग नहीं हैं जो पहले प्रयास में ही सफल हो जाएं। यदि एक बार हार कर हम प्रयास करना छोड़ दें तो हमारी पहले की हुई मेहनत भी व्यर्थ हो जाती है। किसी ने सही कहा है तब तक कोशिश करते रहो जब तक सफलता हमारे कदम न चूम ले। हमें कभी घटने नहीं टेकने चाहिए। हमें पूरे हौसले के साथ आगे बढ़ना चाहिए। लगातार की गई मेहनत एक दिन फलित ज़रूर होगी। हमें कर्म कर तथा फल की चिन्ता न कर पर विश्वास रखते हुए ईश्वर पर भरोसा करना चाहिए। इसलिए यदि किसी चीज़ को प्राप्त करने के लिए हमें बार-बार प्रयास करने पड़ें तो उसमें कुछ गलत नहीं है। हमें पूरे मन से आगे बढ़ते रहना चाहिए।

Answered by malakmosallam2008
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Answer:

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

जीवन में सफलता और असफलता तो लगी ही रहती है, लेकिन इससे घबराकर कोई भी आत्मघाती कदम उठाना गलत है। कई बार जिन पढ़े-लिखे युवाओं को मनचाहा रोज़गार नहीं मिलता, वे निराशा से घिर जाते हैं और इनमें से कुछ आत्महत्या कर लेते हैं या करने का प्रयास करते हैं। ये लोग यह क्यों नहीं सोचते कि नौकरी पाना जीवन का अंतिम लक्ष्य नहीं है। अगर नौकरी नहीं तो कोई व्यवसाय ही सही। किसी ने कहा भी है, 'जो मैंने चाहा, वह मुझे नहीं मिला, लेकिन जो मुझे मिला, वह तो मैंने चाहा ही नहीं था।

जिंदगी में कई बार वह मिल जाता है, जिसकी हमने कल्पना भी नहीं की थी। महत्वपूर्ण है लगातार प्रयास करना और कर्मशील सोच रखना। परिणाम देर-सवेर ज़रूर मिलेगा। जीवन के कई मुकाम पर हमें आशातीत सफलता नहीं मिल पाती है, लेकिन इससे घबराकर प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिए, बल्कि अपने प्रयासों में और तेज़ी लानी चाहिए।

बल्ब का अविष्कार करने वाले थॉमस एडिसन से जब 200 बार प्रयोग करने के बाद भी बल्ब नहीं बन सका तो लोगों ने उनका मज़ाक उड़ाया और कहा कि तुम 200 बार कोशिश करने के बाद भी सफल नहीं हो सके। तब एडिसन ने जवाब दिया कि मैं 200 बार असफल नहीं हुआ हूं, बल्कि मैं 200 ऐसे तरीके जानता हूं, जिनके बल्ब नहीं बनाया जा सकता। यही सोच का अंतर है।

परिणाम महत्वपूर्ण है, लेकिन उसके लिए किए गए प्रयास उससे भी अधिक महत्वपूर्ण हैं। लगातार प्रयास करते रहिए सफलता ज़रूर मिलेगी, क्योंकि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।

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