krishn bharti ka meera par kya prabhav pada
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मान्यता है कि मीरा पूर्व-जन्म में वृंदावन की एक गोपी थीं और उन दिनों वह राधा की सहेली थीं। वे मन ही मन भगवान श्रीकृष्ण से प्रेम करती थीं। गोप से विवाह होने के बाद भी उनका लगाव श्रीकृष्ण के प्रति कम न हुआ और कृष्ण से मिलने की तड़प में ही उन्होंने प्राण त्याग दिए। बाद में उसी गोपी ने मीरा के रूप में जन्म लिया।
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Explanation:
विश्व की महान कवित्रियों में कृष्ण भक्ति शाखा की कवियित्री राजस्थान की मीरा बाई का जीवन समाज को अलग ही संदेश देता है वहीं इनके जीवन चरित्र को आधुनिक युग की कई फिल्मों, साहित्य और कॉमिक्स का विषय बनाया गया हैं। मीरा बाई का जीवन प्रारंभ से ही कृष्ण भक्ति से प्रेरित रहा और वे जीवन भर बावजूद विषम परिस्थितियों के कृष्ण भक्ति में लीन रही। कोई भी बाधा उनका मन कृष्ण भक्त से विमुख नहीं कर सकी। कृष्ण भक्ति में रत रहकर वे अमर हो गई और आज भी उनका नाम पूरी श्रृद्धा, आदर और सम्मान के साथ स्मरण किया जाता है।
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