Hindi, asked by shona43821, 1 year ago

krishna paksh aur shukla paksh ke baremein jankari

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Answered by Anonymous
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शुक्ल पक्ष हिन्दू काल गणना अनुसार पूर्णिमांत माह के द्वितीयार्ध पक्ष (१५ दिन) को कहते हैं। यह पक्ष अमावस्या से पूर्णिमा तक होता है।
Answered by mitesh6
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पंचांग हिन्दू धर्म का कैलेंडर है और हिन्दू धर्म में पंचांग का बहुत महत्व है। पंचांग पांच कारकों यानी तिथि, योग, करण, वार और नक्षत्र के अनुसार गणना और कार्य करता है इसीलिए इसका नाम पंचांग रखा गया।
पंचांग के अनुसार एक साल में 12 महीने होते है और इस में एक दिन को एक तिथि कहते है, इस तिथि की अवधि 19 से 24 घंटों तक की हो सकती है। पंचांग में यह भी माना जाता है कि हर माह में तीस दिन होते है और इन महीनों की गणना  सूरज और चंद्र की गति के अनुसार ही की जाती है। चन्द्रमा की कलाओं के ज्यादा होने या कम होने के अनुसार ही महीने को दो पक्षों में बांटा गया है जिन्हे कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष कहा जाता है। जानिए इनके बारे में विस्तार से।

कृष्ण पक्ष

पूर्णिमा और अमावस्या के मध्य के भाग को कृष्ण पक्ष कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा के अगले ही दिन से ही कृष्ण पक्ष शुरू हो जाता है। कृष्ण पक्ष को किसी भी शुभ कार्य के लिए उचित नहीं माना जाता और ऐसा कहते हैं कि इस पक्ष में या इस दौरान कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए जो शुभ हो जैसे शादी, मुंडन या घर में कोई भी अन्य विशेष अवसर।

इसके पीछे भी कई तर्कों का उल्लेख मिलता है जैसे पूर्णिमा के बाद जब चन्द्रमा घटता है यानी चन्द्रमा की कलाएं कम होती है तो चन्द्रमा की शक्ति यानी बल भी कमजोर होता है। इसके साथ ही चन्द्रमा के आकार में कमी आने से रातें अँधेरी होती है इस कारण से भी इस पक्ष को उतना शुभ नहीं माना जाता जितना शुक्ल पक्ष को मानते है। अगर आप को भी पंचांग में विश्वास है तो किसी भी विशेष काम को कृष्ण पक्ष में करने से नजरअंदाज करें।

शुक्ल पक्ष

अमावस्या और पूर्णिमा के बीच के अंतराल को शुक्ल पक्ष कहा जाता है। अमावस्या के बाद के 15 दिन इस पक्ष में आते है। अमावस्या के अगले ही दिन से चन्द्रमा का आकर बढ़ना शुरू हो जाता है या ऐसा कहा जाये कि चन्द्रमा की कलाएं भी बढ़ती है जिससे चन्द्रमा बड़ा होता जाता है और रातें अँधेरी नहीं रहती बल्कि चाँद की रौशनी से चमक जाती है और चाँद की चांदनी से भर उठती है। इस दौरान चंद्र बल मजबूत होता है और यही कारण है कि कोई भी शुभ काम करने के लिए इस पक्ष को उपयुक्त और सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। किसी भी नए काम की शुरुआत भी शुक्ल पक्ष में ही की जाती है।

हर महीने के पंद्रह दिन कृष्ण पक्ष में आते है और अन्य पंद्रह दिन शुक्ल पक्ष में। दोनों ही पक्षों की अपनी अलग अलग खासियत है लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं की शुक्ल पक्ष को कृष्ण पक्ष से श्रेष्ठ माना जाता है। अगर आप का विश्वास भी पंचांग में है तो अपने विशेष काम शुक्ल पक्ष में ही करें।



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