krityvachy वाक्य को कर्मवाच्य से बदल रूप बदलने पर क्रिया में क्या परिवर्तन होता है
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प्र - वाच्य किसे कहते है ?
उ - वाच्य उस रूप रचना को कहते हैं जिससे पता चलता है कि क्रिया को मूल रूप से चलाने वाला कर्ता है या कर्म ।
प्र - हिन्दी मे मुख्य कितने वाच्य होते है ?
उ - हिन्दी में मुख्य दो वाच्य होते है ।
[1]- कर्तृवाच्य - जिन वाक्यो में कर्ता कि प्रधानता होती है, उन्हे कर्तृवाच्य कहते है । इस प्रकार के वाक्य में अकर्मक और सकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाएँ हो सकती है । पर इनमें कर्ता प्रमुख होता है और कर्म गौण
[2] - अकर्तृवाच्य- जिन वाक्यो में कर्ता गौण अथवा लुप्त होता है, उन्हे अकर्तृवाच्य कहते है ।
प्र - अकर्तृवाच्य के कितने भेद होते हैं ?
उ - अकर्तृवाच्य के दो भेद होते हैं -
[1] - कर्म वाच्य - कर्म की प्रधानता
[2]- भाववाच्य - भाव की प्रधानता
प्र - वाच्य की परिभाषा दीजिए ।
उ - क्रिया के जिस रूप से उसके कर्ता, कर्म या भाव के अनुसार होने का बोध होता है, उसे वाच्य कहते हैं ।
जैसे - [क ] - गोविंद बेर बेचता है ।
[ख ] - नगमा के द्वारा पापड़ बेचे गए ।
[ग ] - बहू के द्वारा बोला नहीं जाता ।
[प्र] - वाच्य के कितने भेद होते हैं ?
उ- वाच्य के तीन भेद होते हैं -
[1]- कर्तृवाच्य- जिस वाक्य की क्रिया का संबंध कर्ता से होता है