KRODH HANNIKARK HAI AUR PREM LABKHARI PAR SAMVAD
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PREM LABHKARI HAI MANUSYA KO SAHI PATH PAR LE JATA HAI
क्रोध हानिकारक और प्रेम लाभकारी पर संवाद।
Explanation:
राम: राघव तुमने यह क्या किया? आज फिर तुमने कांच के बर्तन तोड़े?
राघव: मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था मैं क्या करता?
राम: पर तुम्हें इतना क्रोध आता क्यों है?
राघव: मुझे नहीं पता जब मुझे गुस्सा आता है तुम मैं उसे काबू नहीं कर पाता हूँ और मैं अपना आपा खो देता हूँ।
राम: हाँ वह तो मैंने भी देखा लेकिन यदि तुम इसी प्रकार समान तोड़ते रहोगे तो उसे तुम्हें कितनी हानि होगी क्या कभी सोचा है?
राघव: मैं बाद में अवश्य सोचता हूँ कि मैं अगली बार अपने गुस्से को काबू कर लूंगा लेकिन जब गुस्सा आता है तो मैं अपना आपा खो देता हूँ मैं क्या करूं।
राम: तुम जब तुम्हें गुस्सा आता हो तब तुम लंबी लंबी सांसे लेकर उसको काबू करने की कोशिश किया करो क्योंकि क्रोध हमेशा हानिकारक होता है यह ना केवल तुम्हें लोगों का दुश्मन बनाएगा बल्कि तुम्हारे लिए मुसीबतें भी खड़ी करेगा।
राघव: ठीक है मैं कोशिश करूंगा सभी से प्रेम से बात करने की।
राम: हाँ क्योंकि प्रेम लाभकारी होता है प्रेम से बात करने पर हम किसी से कुछ भी मांग सकते हैं लेकिन यदि हम क्रोध दिखाते हैं तो उसका भुगतान हमें स्वयं करना पड़ता है।
राघव: ठीक है मित्र मैं पूरी कोशिश करूंगा कि अगली बार अपने गुस्से पर काबू रखूं |
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