Kuchh marmik prasango ke Aadhar per Dikhai deta hai ki Bal Govind Bharati prachalit Samajik Sanstha Mein netaon Ko Nahin mante the path ke Aadhar par gun prasango ka ullekh kijiye
Answers
Answer:
कुछ ऐसे मार्मिक प्रसंग है, जिनके आधार पर यह कहा जा सकता है कि बालगोबिन भगत उन प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे, जो विवेक की कसौटी पर खरी नहीं उतरती थीं | उदाहरणस्वरुप:
बालगोबिन भगत के पुत्र की मृत्यु हो गई, तो उन्हों ने सामाजिक परंपराओं के अनुरूप अपने पुत्र का क्रिया-कर्म नहीं किया | उन्होंने कोई तूल न करते हुए बिना कर्मकांड के श्राद्ध-संस्कार कर दिया |
सामाजिक मान्यता है की मृत शरीर को मुखाग्नि पुरूष वर्ग के हाथों दी जाती है | परंतु भगत ने अपने पुत्र को मुखाग्नि अपनी पुत्रवधू से ही दिलाई | हमारे समाज में विधवा विवाह को मान्यता नहीं दी गई है, परंतु भगत ने अपननी पुत्रवधू को पुनर्विवाह करने का आदेश दे दिया |
Explanation:
hope this will be helpful to you.
बालगोबिन भगत पाठ में लेखक ने कुछ ऐसे मार्मिक प्रसंग बना दिए हैं जिससे पाठकों का ध्यान जाता है सामाजिक मान्यता के अनुसार वे अपने इकलौते बेटे के निधन का शोक नहीं बनाते बल्कि मनाना है कि आत्मा परमात्मा में मिल गई मृत शरीर की मुखाग्नि स्वर्णो देकर अपनी पतोहू से दिलवाया श्राद्ध कर्म पूरा होने के बाद बहू के भाई को बुलाकर बहू की दूसरी शादी करने के लिए कहां इस प्रकार के विधवा विवाह के समर्थक थे