kya apne train ma kabhi safar kiya ho to anubhav karke apne safar ko likiye
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मुझे रेल से कहीं भी आना-जाना बहुत अच्छा लगता है। वैसे तो मैनें बचपन से ही बहुत रेल यात्राएं की है, जो कि मेरे स्मृति में विद्यमान भी नहीं। अपने याद में मैने प्रथम रेल यात्रा तब की, जब बारहवीं के बाद मैं अपनी गर्मी की छुट्टियां मनाने अपनी बड़ी बहन के पास लुधियाना गयी।यह सफर मेरी जिन्दगी का सबसे यादगार सफर था। उसके बाद भी मैने अनेको यात्राएं की परंतु वो रोमांच कभी नही आया। मेरे बड़े भाई भी मेरे साथ जा रहे थे, मेरी बहन ने हम दोनों की टिकटें पहले से ही करा रखी थी, वाराणसी से लुधियाना का मेरा सफर काफी रोमांचक होने वाला था। वाराणसी से लुधियाना का सफर करीबन 16-17 घंटे का होता है। मैनें अपने सफर के लिए ढ़ेर सारी खाने की चीजें बना ली थी।
जम्मूतवी एक्सप्रेस से हम जाने वाले थे, हमारी रेल के छुटने का समय शायद शाम के 3 बजे का था, हम दो बजे ही रेलवे स्टेशन पहुंच गये थे। हमारी गाड़ी भी नियत समय से रवाना हो गयी। वाराणसी से पहले जौनपुर, फिर प्रयागराज, कानपुर, आगरा, नई दिल्ली होते हुए अगले दिन दोपहर बारह बजे के करीब लुधियाना पहुंचे। स्टेशन पर पहले से ही मेरी दीदी और जीजू आ गये थे, हमे देखते ही उनके खुशी का ठिकाना नहीं था।