kya gharelu Makkhi bhi Rog vahan ka Karya Karti Hai yadi han to yah kis Prakar Ka Rog sancharan karti hai
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हल्द्वानी। बुखार, खांसी से लेकर दूसरे रोगों के कारण ही लोग अस्पताल नहीं पहुंच रहे हैं बल्कि कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल में सालभर में ‘मच्छर-मक्खी’ जनित रोगों से प्रभावित 12 सौ से ज्यादा रोगी पहुंचते हैं। इनमें से मलेरिया के शिकार कई रोगियों की मौत तक हो जाती है।
इलाज से जुड़े चिकित्सकों के अनुसार विकसित देशों की बात छोड़ दें, तो सिंगापुर, थाइलैंड जैसे छोटे देशों में मच्छर, मक्खी से होेने वाले रोग करीब खत्म हो चुके हैं। पर यह अभी भी हमारे यहां चुनौती बने हुए हैं। मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डा. एसआर सक्सेना कहते हैं कि एक अनुमान से मच्छर के कारण डेंगू के 350, मलेरिया के 400 और मक्खी के कारण होने वाले टाइफाइड के करीब 500 रोगी सालभर में इलाज को एसटीएच में भर्ती होते हैं। इसमें मलेरिया के शिकार करीब दस रोगियों की मौत तक हो जाती है। यह एक बड़ी संख्या है। अगर हम दूसरे सरकारी अस्पताल मसलन पीएचसी, सीएचसी, एसएडी अस्पताल से लेकर बेस और निजी अस्पतालों की बात करें, तो यहां इनकी संख्या हमारे यहां से रिपोर्ट रोगियों से करीब तीन गुनी तक ज्यादा हो सकती है। अगर हम मच्छरदानी लगाना, सफाई रखना, पानी उबाल कर पीना जैसी छोटी बातों का ध्यान रखें, तो काफी हद तक अस्पताल आने से बच सकते हैं। कृष्णा हास्पिटल के डा. हरभजन सिंह कहते हैं कि कई बार लोग इलाज में देरी करते हैं, इससे रोग बिगड़ जाता है। करीब दो साल पहले कालाजार बीमारी के रोगी भी रिपोर्ट हुए थे।