लो अतीत से उतना ही जितना पोषक है िीर्ण-शीर्ण का मोह मृत्यु का ही द्योतक है तोडो बंधन, रुके न ज ंतन गजत, िीवन का सत्य ज रंतन धारा के शाश्वत प्रवाह में इतने गजतमय में बनो जक जितना पररवतणन है ll
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तोड़ो बंधन, रुके न चिंतन गति, जीवन का सत्य चिरंतन धारा के शाश्वत प्रवाह में इतने गतिमय बनो कि जितना परिवर्तन है। meaning of these lines amiteshprasher is waiting for your help.13-Apr-2021
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