ले बेटा, मेरे ये कंगन फंड में दे दे, तेरे बाप की निशानी थी . सप्रसंग व्याख्या करो.
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sorry hindi ko maintindihan yan question mo
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"ले बेटा, मेरे ये कंगन फंड में दे दे, तेरे बाप की निशानी थी ". सप्रसंग व्याख्या निम्नलिखित है ।
- संदर्भ - प्रस्तुत पंक्ति एकांकी " उससे न कहना " से ली गई है। इस एकांकी के लेखक है करतारसिंह दुग्गल।
- प्रसंग - यह वाक्य उस प्रसंग का है जब भारत पर चीन ने आक्रमण कर दिया था तथा सरकार ने जनता से मदद की मांग की थी।
- व्याख्या - लाजवंती पहले अपने बेटे बलबीर को फौज में जाने की अनुमति नहीं दे रही थी क्योंकि उसका पति फौज में शहीद हुआ था तथा बड़ा बेटा शम्मी भी फौज में था जो अब लापता था।
- बलबीर का भी सपना था कि वह भी अपने पिता तथा बड़े भाई की तरह देश की रक्षा करे परन्तु उसकी मां लाजवंती नहीं मानती थी।
- एक दिन लाजवंती कुएं से पानी भरने जा रही थी तब उसे पता चला कि उसका बड़ा बेटा शम्मी देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गया है, इस घटना ने बाद बलबीर ने अपनी मां से कहा कि अब वह फौज में नहीं जाएगा , उसने अपना मन बदल लिया है , वह अपनी मां की देखभाल करेगा ।
- जब चीन ने भारत पर हमला बोल दिया तब लाजवंती स्वयं ही अपने बेटे को सेना में भर्ती होने के लिए कहती है तथा अपना सोने का कंगन भी फंड में दे देती है जो उसके पति की निशानी थी।
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