लंबी दूरी तक रेडियो प्रसारण के लिए लघु तरंग बैंड का उपयोग किया जाता है क्यों
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रेडियो तरंगें (radio waves) वे विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं, जिनका तरंगदैर्घ्य १० सेण्टीमीटर से १०० किमी के बीच होता है। ये मानवनिर्मित भी होती हैं और प्राकृतिक भी। मानव की कोई इंद्रिय इन्हें पहचान नहीं सकती बल्कि ये किसी अन्य तकनीकी उपकरण (जैसे, रेडियो संग्राही) द्वारा पकड़ी एवं अनुभव की जातीं हैं। इनका प्रयोग मुख्यतः बिना तार के, वातावरण या बाहरी व्योम के द्वारा सूचना का आदान प्रदान या परिवहन में होता है। इन्हें अन्य विद्युत चुम्बकीय तरंगों से इनकी तरंग दैर्घ्य के अधार पर पृथक किया जाता है, जो अपेक्षाकृत अधिक लम्बी होती है।
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रेडियो प्रसारण के लिए लघु तरंग
व्याख्या
- लंबी दूरी के रेडियो प्रसारण शॉर्टवेव बैंड का उपयोग करते हैं क्योंकि केवल इन बैंडों को आयनमंडल द्वारा अपवर्तित किया जा सकता है।
- इस प्रकार, ये संकेत आयनमंडल द्वारा परावर्तित नहीं होते हैं।
- उपग्रह टीवी संकेतों को प्रतिबिंबित करने में सहायक होते हैं। साथ ही, वे लंबी दूरी के टीवी प्रसारण में मदद करते हैं।
- एक्स-रे खगोल विज्ञान के संदर्भ में, एक्स-रे वातावरण द्वारा अवशोषित होते हैं। हालांकि, दृश्य और रेडियो तरंगें इसमें प्रवेश कर सकती हैं। इसलिए, ऑप्टिकल और रेडियो टेलीस्कोप जमीन पर बनाए जाते हैं, जबकि एक्स-रे खगोल विज्ञान केवल पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले उपग्रहों की मदद से ही संभव है।
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